Tuesday, October 25, 2016

दिवाली पूजा विधि

लक्ष्मीजी को कुछ वस्तुएँ विशेष प्रिय हैं।

उनका उपयोग करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इनका उपयोग अवश्य करना चाहिए। 
  • वस्त्र में इनका प्रिय वस्त्र लाल-गुलाबी या पीले रंग का रेशमी वस्त्र है।
  • पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय है।
  • फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं।
  • सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन।
  • अनाज में चावल तथा मिठाई में घर में बनी शुद्धता पूर्ण केसर की मिठाई या हलवा, शिरा का नैवेद्य उपयुक्त है।
  • प्रकाश के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल इनको शीघ्र प्रसन्न करता है।
  • अन्य सामग्री में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र का पूजन में उपयोग करना चाहिए।
पूजा की सामग्री
  1. लक्ष्मीश्री गणेश की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में)
  2. केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग.
  3. सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, 
  4. 11 दीपक
  5. रूई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश चाहिए.
पूजा की तैयारी
  • चौकी पर लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे।
    लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। 
  • कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। 
  • नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है।
  • दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अतिरिक्त एक दीपक गणेशजी के पास रखें।
  • मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। 
  • कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक 9 ढेरियां बनाएं। 
  • गणेशजी की ओर चावल की 16 ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं।
  • नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।
  • इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचोंबीच लिखें।
  •  छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें। 
थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें :
  1. 11 दीपक, 
  2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान, 
  3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।
सबसे पहले पवित्रीकरण करें :
आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में मंत्र पढ़ें। इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें।
ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥


अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और
मां पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें :
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः


अब आचमन करें :पुष्प, चम्मच या अंजुलि से एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ केशवाय नमः
और फिर एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ नारायणाय नमः
फिर एक तीसरी बूंद पानी की मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ वासुदेवाय नमः
फिर
ॐ हृषिकेशाय नमः
कहते हुए हाथों को खोलें और अंगूठे के मूल से होंठों को पोंछकर हाथों को धो लें। पुनः तिलक लगाने के बाद प्राणायाम व अंग न्यास आदि करें। आचमन करने से विद्या तत्व, आत्म तत्व और बुद्धि तत्व का शोधन हो जाता है तथा तिलक व अंग न्यास से मनुष्य पूजा के लिए पवित्र हो जाता है।

दीवाली लक्ष्मी पूजन विधि


एक पट्टे पर लाल कपड़ा बिछाकर पट्टे को चारों ओर से कलावे से बांध दें। फिर इस पर हल्दी और आटे से एक अष्टदल कमल या श्री लक्ष्मी यंत्र बनाएं। पट्टे पर एक ओर लघु नारियल और दूसरी ओर दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करें। पट्टे के नीचे दायीं ओर चावल की ढेरी पर एक कलश स्थापित करें। पूजा प्रारंभ करने से पूर्व साधक दुरात्माओं और आसुरी शक्तियों को भगाने के लिए चारों दिशाओं में राई या सरसों फेंकें तथा पवित्रीकरण मंत्र से अपने चारों ओर पवित्र जल से छींटे डालें।

हाथ में जल लेकर संकल्प मंत्र से पूजा का संकल्प लें

मैं (अपना नाम बोलें), सुपुत्र श्री (पिता का नाम बोलें), जाति (अपनी जाति बोलें), गोत्र (गोत्र बोलें), पता (अपना पूरा पता बोलें) अपने परिजनो के साथ जीवन को समृध्दि से परिपूर्ण करने वाली माता महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिये कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन महालक्ष्मी पूजन कर रहा हूं। हे मां, कृपया मुझे धन, समृध्दि और ऐश्वर्य देने की कृपा करें। मेरे इस पूजन में स्थान देवता, नगर देवता, इष्ट देवता कुल देवता और गुरु देवता सहायक हों तथा मुझें सफलता प्रदान करें।

यह संकल्प पढकर हाथ में लिया हुआ जल, पुष्प और अक्षत आदि श्री गणेश-लछ्मी के समीप छोड दें

वरुण (कलश) पूजनम
वरुण देवता का आवाहन कर कलश पूजन करें |
पाद्यं समर्पयामि, अघ्र्य समर्पयामि, आचमनं समर्पयामि, पंचामृत स्नानं समर्पयामि, वस्त्रं समर्पयामि, पुश्प्मालाय्म समर्पयामि,धूपं दीपं द्रश्यमी,नवैध्येम निवेदयामि, ऋतुफलं समर्पयामि, दक्षिणाम समर्पयामि आदि मंत्र से षोडशोपचार पूजन करें।
इसके बाद हाथ जोड़ कर वरुण देवता को नमस्कार करें |

श्री गणपति पूजनम
हाथ में चावल और फूल लेकर गणेशजी का अहवान करें|
ओम विनायकम मह्त्पुश्यम सर्वदेव नमस्कृतं सर्वविघ्नाहरम गौरीपुत्रं आवाहयाम |
हाथ के चावल और फूल गणेश जी पर छोड़ दें |
ध्यान :
गजाननं भूतगणादि सेवितं कपित्थ जम्बूफल चारु भक्षण्म्।
उमासुत शोकविनाशकं, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
श्री मन्महागणाधिपतये नमः।

गणपति पूजन :
ओम गं गणपतये नम : स्नानं समर्पयामि
जल गणेश जी को स्नानं अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : वस्त्रं समर्पयामि
कलावा तोड़ कर अथवा वस्त्र गणेशजी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : यज्ञोपवीतं समर्पयामि
कलावा गणेश जी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : गन्धं समर्पयामि
इत्र गणेशजी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : पुश्प्मालाय्म समर्पयामि
गणेश जी को फूलमाला अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : धूपं दीपं द्रश्यमी
धूप दीप को हाथ से गणेशजी को दिखाएँ
ओम गं गणपतये नम : नवैध्येम निवेदयामि
मिष्ठान व खील बताशे , खिलोने गणेश को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : ऋतुफलं समर्पयामि
फल गणेश जी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : ताम्बूलं पुन्गिफलम समर्पयामि
एक पान के पत्ते पर सुपारी इलायची लौंग रख कर गणेशजी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : दक्षिणाम समर्पयामि
यथायोग्य दक्षिणा अर्पित करें |


षोडश मातृका पूजन
पूजा कि थाल पर त्रिशूल अंकित करें | त्रिशूल पर अक्षत चढ़ाते हुए यह प्रार्थना करते हुए षोडश मातृकाओं का आवाहन व् नमस्कार करें |
बेग पधारो गेह मम , सोलह माता आप |
वश बढे पीड़ा कटे , मिटे शोक संताप ||
पाद्यं समर्पयामि, अघ्र्य समर्पयामि, आचमनं समर्पयामि, पंचामृत स्नानं समर्पयामि, वस्त्रं समर्पयामि, पुश्प्मालाय्म समर्पयामि,धूपं दीपं द्रश्यमी,नवैध्येम निवेदयामि, ऋतुफलं समर्पयामि, दक्षिणाम समर्पयामि

आदि मंत्र से षोडश मातृकाओं का का षोडशोपचार पूजन करें और उनको नमस्कार करें |

नवग्रह पूजनम
अब पूजा कि थाल में कुमकुम कि नौ बिंदियों पर अक्षत अर्पित करते हुए नवग्रहो का आवाहन करें |
रवि शशि मंगल बुध गुरु , शुक्र शनि महाराज |
राहु केतु नव गृह नमो, सकल संवारो काज ||
पाद्यं समर्पयामि, अघ्र्य समर्पयामि, आचमनं समर्पयामि, पंचामृत स्नानं समर्पयामि, वस्त्रं समर्पयामि, पुश्प्मालाय्म समर्पयामि,धूपं दीपं द्रश्यमी,नवैध्येम निवेदयामि, ऋतुफलं समर्पयामि, दक्षिणाम समर्पयामि

आदि मंत्र से नवग्रह देवताओ का षोडशोपचार पूजन करें और फिर उनको नमस्कार करें |

कुबेर पूजनम :
सर्वप्रथम निम्नलिखित मन्त्र के साथ कुबेरजी महाराज का आवाहन करें-
आवाहयामि देव त्वामिहायामि कृपां कुरु ।
कोशं वर्द्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर ॥

अब हाथ में अक्षत लेकर निम्नलिखित मंत्र से कुबेरजी का ध्यान करें
मनुजवाह्यविमानवरस्थितं,
गरुडरत्ननिभं निधिनायकम ।
शिवसखं मुकुटादिविभूषितं,
वरगदे दधतं भज तुन्दिलम ॥
हाथ में लिए हुए अक्षतों को कुबेरयंत्र, चित्र या विग्रह के समक्ष चढा दें.
पाद्यं समर्पयामि, अघ्र्य समर्पयामि, आचमनं समर्पयामि, पंचामृत स्नानं समर्पयामि, वस्त्रं समर्पयामि, पुश्प्मालाय्म समर्पयामि,धूपं दीपं द्रश्यमी,नवैध्येम निवेदयामि, ऋतुफलं समर्पयामि, दक्षिणाम समर्पयामि

आदि मंत्र से कुबेरजी का षोडशोपचार पूजन करें और फिर उनको नमस्कार करें |

श्री लक्ष्मी पूजनम्
हाथ में पुष्प लेकर श्री महालक्ष्मी का आवाहन करें-
ॐ हिरण्यवर्णा हरिणी सुवर्ण रजतस्त्रजाम्।
चंद्रा हिरण्यमयी लक्ष्मी जातवेदो मे आवह।।
ॐ श्रीं हृीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः आवाहनंचासनं समर्पयामि।

हाथ में अक्षत, पुष्प और जल लेकर पद्मासन में बैठकर श्री महालक्ष्मी देवी का ध्यान करें
हस्त द्वयेन कमले धारयंती स्वलीलया।
हारनूपुर संयुक्ता लक्ष्मी देवी विचिन्तयेत।।


अष्टलक्ष्मी पूजन
श्री महालक्ष्मी की स्थपना और ध्यान के पश्चात् दाएं हाथ में रोली, अक्षत और पुष्प लेकर अष्ट लक्ष्मियों को अर्पित करते हुए नमस्कार करें-
ॐ आद्या नमः ॐ विद्या लक्ष्म्यै नमः ॐ सौभाग्य लक्ष्म्यै नमः ॐ अमृत लक्ष्म्यै नमः ॐ काम लक्ष्म्यै नमः ॐ सत्य लक्ष्म्यै नमः ॐ भोग लक्ष्म्यै नमः ॐ योग लक्ष्म्यै नमः।

दीप अर्पण मंत्र :
इसके पश्चात् श्री महालक्ष्मी को पांच ज्योतियों वाला गोघृत का दीपक निम्न मंत्र के द्वारा अर्पित करें-
ॐ कर्पासवर्ति संयुक्तं घृतयुक्तं मनोहरम्।
तमो नाशकरं दीपं ग्रहणं परमेश्वरी।।


 दीप प्रज्वलन मंत्र
शुभम करोति कल्याणम आरोग्यं धन सम्प्रद्य I
शत्रु वृद्धि विनाशाय दीप ज्योति नमोस्तुते II


श्रीसूक्त के मंत्रों से श्री महालक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करें।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः पाद्यं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः अघ्र्य समर्पयामि,ॐ महालक्ष्म्यै नमः आचमनं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः पुश्प्मालाय्म समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः धूपं दीपं द्रश्यमी, ॐ महालक्ष्म्यै नमः नवैध्येम निवेदयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः ऋतुफलं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः दक्षिणाम समर्पयामि 
आदि मंत्र से महालक्ष्मीजी का षोडशोपचार पूजन करें|
त्रैलोक्य पूजिते देवि कमले विष्णु वल्लभे। यथ त्वमचला कृष्णे तथा भावभार्य स्थिरा।।
ईश्वरी कमला लक्ष्मीश्चला भूतिहरिप्रिया। पद्मा पद्मालया संपदुच्चैः श्री पद्माधारिणी।।
द्वादश एतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्यः पठेत्। स्थिर लक्ष्मी केतस्थ पुत्रदारादिभिः सह।।
ॐ हृीं महाक्ष्म्यै च विद्महै, विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
श्रीं हृीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद। श्रीं हृीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः।।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

आदि मंत्रो से महादेवी को नमस्कार करें |

सरस्वती पूजन :
दीपावली पर सरस्वती पूजन करने का भी विधान है. इसके लिए लक्ष्मी पूजन करने के पश्चात निम्नलिखित मन्त्रों से मॉं सरस्वती का भी पूजन करना चाहिए|
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
हाथ में लिए हुए अक्षतों और फूलो को मॉं सरस्वती के चित्र के समक्ष चढा दें|
माँ सरस्वती का षोडशोपचार पूजन करें और फिर उनको नमस्कार करें |
सरस्वती महाभागे देवि कमललोचने ।
विद्यारुपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तुते ।
कलम दवात आदि की भी पूजा करें | यह माँ काली की पूजा का प्रतिक होता है |
पहले गणेशजी की आरती करें | फिर माँ लक्ष्मी की आरती करें |
आरती के बाद दोनों हाथों से फूल लेकर पुष्पांजलि के रूप में माँ को अर्पित करें |
|| ॐ महालक्ष्म्यै नम: पुष्पांजलि समर्पयामि ||


समर्पण :
निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए महालक्ष्मी के समक्ष पूजन कर्म को समर्पित करें और इस निमित्त जल अर्पित करें :
कृतेनानेन पूजनेन भगवती महालक्ष्मीदेवी प्रीयताम न मम ॥

क्षमा प्रार्थना :
अब मॉं लक्ष्मी के समक्ष दण्डवत प्रणाम करें तथा अनजानें में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा मॉंगते हुए, देवी से सुख -समृद्धि, आरोग्य तथा वैभव की कामना करें|

2 comments:

  1. महत्त्व पूर्ण जानकारी। धन्यवाद।
    कृपया यह बताएं कि पूजन के बाद इस सब सामग्री का क्या करना है????

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