Tuesday, August 30, 2016

देवी देवताओ को प्रिय भोग और कैसे करे परिक्रमा

भगवान कृष्ण :  को माखन मिसरी का भोग अति प्रिय है | 
भगवान शिव : इन्हे चिरौंजी भांग धतुरा अति प्रिय है | शिवरात्रि पर गाजर और बेर विशेष चढ़ाये जाते है |
विष्णु भगवान : इन्हे खीर और सूजी के हलवे का भोग लगाना चाहिए | भोग में तुलसी की पत्ती जरुर डाले | हलवे में पंच मेवे जरुर डाले |
माता लक्ष्मी : इन्हे श्वेत और पिली मिठाई अति प्रिय है | पीले मीठे चावल का भोग लगाना भी इन्हे पसंद है |
सरस्वती माँ : इन्हे श्वेत मिठाई , चावल , दूध , दही का भोग लगाना चाहिए |
माँ दुर्गा : इन्हे हलुवा , मिठाई , अनार , केले अति प्रिय है | नवरात्रि के हर दिन इन्हे भोग लगाना चाहिए |
हनुमान जी :  इन्हे पेड़े , गुड चन्ने और केले अति प्रिय है | भोग के बाद इन्हे लौंग वाला पान जरुर चढ़ाये |
भैरव नाथ जी : इन्हे उड़द की दाल से बने पकवान , काले तील और उसके लड्डू प्रिय है | कुछ इन्हे मदिरा भी चढाते है |
काली माँ : इन्हे भी भैरव जी को लगाने वाले भोग प्रिय है | अनार इन्हे सबसे अधिक प्रिय है |
हमारा यह भी मानना है की प्रेम भाव से जो भी आप अपने आराध्य को अर्पित करेंगे वो उन्हें स्वीकार कर लेंगे | भोग में श्रद्दा , निष्ठा और प्रेम भाव होना जरुरी है |

कैसे करे परिक्रमा और परिक्रमा लगाते समय क्या बाते रखे ध्यान :

  • परिक्रमा हमेशा घड़ी की सुई की दिशा में करनी चाहिए |
  • परिक्रमा करते समय बाते नही करनी चाहिए और मंत्र जाप या जयकारा  करे |
  • हनुमानजी जी की तीन परिक्रमा और बाकि देवी देवताओ की एक परिक्रमा करनी चाहिए |
  • शिवलिंग  की परिक्रमा हमेशा बांई ओर से शुरू कर जलाधारी के आगे निकले योनी भाग जहा से जल बाहर निकलता है तक जाकर फिर विपरीत दिशा में लौट कर परिक्रमा शुरू करने की जगह पहुंचा जाता है | इसे ही आधी परिक्रमा कहते है |
  • पीपल के पेड़ की 7 परिक्रमा लगानी चाहिए |
  • नारायण के 4  परिक्रमा लगाने की बात कही गयी है
  • सोमवती अमावस्या को मंदिरों में 108 परिक्रमा लगानी चाहिए |
  • जिन देवताओ के चारो तरफ की परिक्रमा की संख्या का हम्हे ज्ञान नही है उनके चारो तरफ आप तीन परिक्रमा लगा सकते है |
  • शनिदेव और सूर्य  की आप 7 परिक्रमा लगा सकते है |

क्यों गिले कपडे पहना जरुरी है परिक्रमा करते समय : 


  • यदि हम नंगे पाँव और गिले कपड़ो के साथ यदि मंदिर में परिक्रमा करते है तो अधिक से अधिक यह उर्जा अर्जित कर पाते है |
    इसलिए ही हमारे प्राचीनतम मंदिर के पास कुवे तालाब और नदी सरोवर जरुर होते थे | कुम्भ के मेले में भी स्नान करके अपने आराध्य देवी देवताओ के दर्शन किये जाते है |

Sunday, August 28, 2016

तुलसी का पूजन कर पायें दोषों से मुक्ति

  • जो भी व्यक्ति तुलसी की माला से किसी भी लक्ष्मी मन्त्र का यथा शक्ति 1 से 11 माला प्रतिदिन जप करे तो धन की प्राप्ति होने लगती है और उसके परिवार में सुख समृद्धि आती है।
  • जो भी व्यक्ति नित्य सुबह के समय स्नान आदि से निवृत होकर तुलसी के नीचे दीपक जलाकर पूजन करेगा। उस जातक के देवदोष समाप्त हो जायेंगे।
  • एक गमले में एक पौधा तुलसी का तथा एक पौधा काले धतूरे का लगायें। इन दोनों पौधों पर प्रतिदिन स्नान आदि से निवृत होकर शुद्ध जल में थोड़ा सा कच्चा दूध मिलाकर अर्पित करें। जो भी व्यक्ति यह प्रयोग नित्य 1 वर्ष तक करेगा उसे पितृदोष से मुक्ति मिल जायेगी। तथा उसको ब्रहमा, विष्णु, महेश, इन तीनों की संयुक्त पूजा फल मिलेगा चूंकि विष्णु प्रिया होने के कारण तुलसी विष्णु रूप है तथा काला धतूरा शिव रूप है एंव तुलसी की जड़ो में ब्रहमा का निवास स्थान माना जाता है।
  • एक छोटा सा चांदी का सर्प बनावाकर। इस सर्प की पूजा जिस दिन चर्तुदशी हो उस दिन स्नान कर तुलसी के पौधे के नीचे, इसे रखकर। इस पर दूध, अक्षत, रोली, आदि लगाकर इसकी पूजा करें। घी का दीपक भी जलायें। जिस समय पूजा करें उस समय साधक का मुख पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। भोग अर्पित कर दान भी करें। दीपक जब ठण्डा हो जाये तो उसके बाद चाॅदी के सर्प को पूजा करने वाला व्यक्ति ही उठाकर किसी नदीं में प्रवाहित कर दे। इस प्रकार नित्य 40 दिन तक पूजन करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।


तुलसी विवाह में तुलसी के पौधे और विष्णु जी की मूर्ति या शालिग्राम पाषाण का पूर्ण वैदिक रूप से विवाह कराया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह का शुभ दिन 1 नवंबर 2016 को है।

* शाम के समय सारा परिवार इसी तरह तैयार हो जैसे विवाह समारोह के लिए होते हैं। 
* तुलसी का पौधा एक पटिये पर आंगन, छत या पूजा घर में बिलकुल बीच में रखें। 
 * तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मंडप सजाएं। 
* तुलसी देवी पर समस्त सुहाग सामग्री के साथ लाल चुनरी चढ़ाएं।  
* गमले में सालिग्राम जी रखें। 
* सालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ते हैं। उन पर तिल चढ़ाई जा सकती है। 
* तुलसी और सालिग्राम जी पर दूध में भीगी हल्दी लगाएं।  
* गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप करें और उसकी पूजन करें।
* अगर हिंदू धर्म में विवाह के समय बोला जाने वाला मंगलाष्टक आता है तो वह अवश्य करें। 
* देव प्रबोधिनी एकादशी से कुछ वस्तुएं खाना आरंभ किया जाता है। अत: भाजी, मूली़ बेर और आंवला जैसी सामग्री बाजार में पूजन में चढ़ाने के लिए मिलती है वह लेकर आएं। 
* कपूर से आरती करें। (नमो नमो तुलजा महारानी, नमो नमो हरि की पटरानी) 
* प्रसाद चढ़ाएं। 
* 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें।
*  प्रसाद को मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें। 
* प्रसाद वितरण अवश्य करें।
* पूजा समाप्ति पर घर के सभी सदस्य चारों तरफ से पटिए को उठा कर भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें-
उठो देव सांवरा, भाजी, बोर आंवला, गन्ना की झोपड़ी में, शंकर जी की यात्रा।  

 इस लोक आह्वान का भोला सा भावार्थ है - हे सांवले सलोने देव, भाजी, बोर, आंवला चढ़ाने के साथ हम चाहते हैं कि आप जाग्रत हों, सृष्टि का कार्यभार संभालें और शंकर जी को पुन: अपनी यात्रा की अनुमति दें।

मोर पंख का उपयोग

- प्राचीन काल से ही नजर उतारने व भगवान की प्रतिमा के आगे वातावरण को पवित्र करने के लिए भी मोर पंख का ही प्रयोग होता आया है.
- मोर पंख का उपयोग वशीकरण, कार्यसिद्धि, भूत बाधा, रोग मुक्ति, ग्रह वाधा, वास्तुदोष निग्रह आदि में महत्पूर्ण माना गया हैं,
- इसे सर पर धारण करने से विद्या लाभ मिलता है या सरस्वती माता के उपासक और विद्यार्थी पुस्तकों के मध्य अभिमंत्रित मोर पंख रख कर लाभ उठा सकते हैं.
- मंत्र सिद्धि के लिए जपने वाली माला को मोर पंखों के बीच रखा जाता हैं. 
- घर में अलग अलग स्थान पर मोर पंख रखने से घर का वास्तु बदला जा सकता है.
- नव ग्रहों की दशा से बचने के लिए भी होता है मोर पंख का प्रयोग. ग्रहों को शांत करने में मोर पंख आपकी सहायता कर सकता है.।
- आयुर्वेद में भी मोर के पंख से तपेदिक, दमा, लकवा, नजला तथा बांझपन जैसे रोगों का सफलतापूर्वक उपचार संभव होता है
- यही मोर का पंख हमारे ज्योतिष.शास्त्र एवं वास्तु शास्त्र के द्वारा मनुष्य जीवन में ाग्यशाली सिद्ध होता है – 
 
एक मोर का पंख हमारे जीवन कि दिशा बदलने में सहायक है।
  • घर के दक्षिण.पूर्व कोण में लगाने से बरकत बढती है व अचानक कष्ट नहीं आता है
  • मोर का पंख घर में रखने से सांप घर में प्रवेश नहीं करता
  • यदि मोर का एक पंख किसी मंदिर में श्री राधा.कृष्ण कि मूर्ती के मुकुट में 40 दिन के लिए स्थापित कर प्रतिदिन मक्खन.मिश्री का भोग सांयकाल को लगाए 41 वें दिन उसी मोर के पंख को मंदिर से दक्षिणा भोग दे कर घर लाकर अपने खजाने या लाकर्स में स्थापित करें तो आप स्वयं ही अनुभव करेंगे कि धन-सुख.शान्ति कि वृद्धि हो रही है सी रुके कार्य भी इस प्रयोग के कारण बनते जा रहे है।
  • काल.सर्प के दोष को भी दूर करने की इस मोर के पंख में अद्भुत क्षमता है काल.सर्प वाले व्यक्ति को अपने तकिये के खौल के अंदर 7 मोर के पंख सोमवार रात्री काल में डालें तथा प्रतिदिन इसी तकिये का प्रयोग करे और अपने बैड रूम की पश्चिम दीवार पर मोर के पंख का पंखा जिसमे कम से कम 11 मोर के पंख तो हों लगा देने से काल सर्प दोष के कारण आयी बाधा दूर होती है
  • बच्चा जिद्दी हो तो इसे छत के पंखे के पंखों पर लगा दे ताकि पंखा चलने पर मोर के पंखो की हवा बच्चे को लगे धीरे.धीरे हव जिद्द कम होती जायेगी।
  • मोर व सर्प में शत्रुता है अर्थात सर्प, शनि तथा राहू के संयोग से बनता है यदि मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर. पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व डायरी में रखा हो तो राहू का दोष की भी नहीं परेशान करता है तथा घर में सर्प मच्छर बिच्छू आदि विषेलें जंतुओं का य नहीं रहता है।

  • - नवजात बालक के सिर की तरफ दिन.रात एक मोर का पंख चांदी के ताबीज में डाल कर रखने से बालक डरता नहीं है तथा कोईभी नजर दोष और अला.बला से बचा रहता है ।
  • यदि शत्रु अधिक तंग कर रहें हो तो मोर के पंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिन्दूर से मंगलवार या शनिवार रात्री में उसका नाम लिख कर अपने घर के मंदिर में रात र रखें प्रातःकाल उठकर बिना नहाये धोए चलते पानी में भी देने से शत्रुए शत्रुता छोड़ कर मित्रता का व्यवहार करने लगता है इस प्रकार के अनेकों प्रयोगों का धर्मशास्त्रों में वर्णन मिलता है ।

Wednesday, August 3, 2016

शंख का स्वास्थ्य,धर्म एवं ज्योतिष में उपयोग


स्वास्थ्य में महत्व :
  • शंख में १००% कैल्शियम है इसमें रात को पानी भर के पीने से कैल्शियम की पूर्ति होती है
  • शंख में पानी रख कर पीने से मनोरोगी को लाभ होता है उत्तेजना काम होती है।
  • शंख बजाने से योग की तीन किरयाए एक साथ होती है - कुम्भक, रेचक, प्राणायाम
  • शंख बजाने से हृदयाघात, रक्तचाप की अनियमितता, दमा, मंदाग्नि में लाभ होता है।
  • शंख बजाने से फेफड़े पुष्ट होते है।
  • शंख की ध्वनि से दिमाग व् स्नायु तंत्र सक्रिय रहता है।
धार्मिक महत्व :
  • दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी स्वरुप कहा जाता है इसके बिना लक्ष्मी जी की आराधना पूरी नहीं मानी जाती। सुख- सौभाग्ये की वृद्धि के लिए इसे अपने घर में स्थापित करे।
  • शंख में दूध भर कर रुद्राभिषेक करने से समस्त पापो का नाश होता है।
  • घर में शंख बजाने से नकारात्मक ऊर्जा का व् अतृप्त आत्माओ का वास नहीं होता है।
  • दक्षिणावर्ती शंख से पितरो का तर्पण करने से पितरो की शांति होती है ।
  • शंख से स्फटिक के श्री यन्त्र अभिषेक करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है ।

ज्योतिष्ये महत्व :
  • सोमवार को शंख में दूध भर कर शिव जी को चढाने से चन्द्रमा ठीक होता है।
  • मंगलवार को शंख बजा कर सुन्दर काण्ड पढ़ने से मंगल का कु-प्रभाव काम होता है।
  • शंख में चावल भर के रखे और लाल कपडे में लपेट कर तिजोरी में रखये माँ अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है।
  • बुधवार को शालिग्राम जी का शंख में जल व् तुलसा जी दाल कर अभिषेक करने से बुध ग्रह ठीक होता है।
  • शंख को केसर से तिलक कर पूजा करने से भगवन विष्णु व् गुरु की प्रसन्ता मिलती है।
  • शंख सफ़ेद कपड़े में रखने से शुक्र ग्रह बलि होता है।
  • शंख में जल ड़ाल कर सूर्ये देव को अर्घ्य देने से सूर्य देव प्रस्सन होते है।

अशुभ ग्रहों का उपाय

कुंडली में अगर निम्न गृह अशुभ है तो निम्न बीमारी देंगे अपनी महादशा या अंतर दशा में :-
1. सूर्य : मुँह में बार-बार थूक इकट्ठा होना, झाग निकलना, धड़कन का अनियंत्रित होना, शारीरिक कमजोरी और रक्त चाप।
2. चंद्र : दिल और आँख की कमजोरी।
3. मंगल : रक्त और पेट संबंधी बीमारी, नासूर, जिगर, पित्त आमाशय, भगंदर और फोड़े होना।
4. बुध : चेचक, नाड़ियों की कमजोरी, जीभ और दाँत का रोग।
5. बृहस्पति : पेट की गैस और फेफड़े की बीमारियाँ।
6. शुक्र : त्वचा, दाद, खुजली का रोग।
7. शनि : नेत्र रोग और खाँसी की बीमारी।
8. राहु : बुखार, दिमागी की खराबियाँ, अचानक चोट, दुर्घटना आदि।
9. केतु : रीढ़, जोड़ों का दर्द, शुगर, कान, स्वप्न दोष, हार्निया, गुप्तांग संबंधी रोग आदि।

अशुभ ग्रहों का उपाय किस प्रकार से करे:
1. सूर्य : बहते पानी में गुड़ बहाएँसूर्य को जल दे, पिता की सेवा करे या गेहूँ और तांबे का बर्तन दान करें.
2. चंद्र : किसी मंदिर में कुछ दिन कच्चा दूध और चावल रखें या खीर-बर्फी का दान करें, या माता की सेवा करे, या दूध या पानी से भरा बर्तन रात को सिरहाने रखें. सुबह उस दुध या पानी से किसी कांटेदार पेड़ की जड़ में डाले या चन्द्र के लिए चावल, दुध एवं चान्दी के वस्तुएं दान करें.
3. मंगल : बहते पानी में तिल और गुड़ से बनी रेवाडि़यां प्रवाहित करे. या बरगद के वृक्ष की जड़ में मीठा कच्चा दूध 43 दिन लगातार डालें। उस दूध से भिगी मिट्टी का तिलक लगाएँ। या ८ मंगलवार को बंदरो को भुना हुआ गुड और चने खिलाये , या बड़े भाई बहन के सेवा करे, मंगल के लिए साबुत, मसूर की दाल दान करें
4. बुध : ताँबे के पैसे में सूराख करके बहते पानी में बहाएँफिटकरी से दन्त साफ करे, अपना आचरण ठीक रखे ,बुध के लिए साबुत मूंग का दान करें., माँ दुर्गा की आराधना करें .
5. बृहस्पति : केसर का तिलक रोजाना लगाएँ या कुछ मात्रा में केसर खाएँ और नाभि या जीभ पर लगाएं या बृ्हस्पति के लिए चने की दाल या पिली वस्तु दान करें.
6. शुक्र : गाय की सेवा करें और घर तथा शरीर को साफ-सुथरा रखें, या काली गाय को हरा चारा डाले .शुक्र के लिए दही, घी, कपूर आदि का दान करें.
7. शनि : बहते पानी में रोजाना नारियल बहाएँ। शनि के दिन पीपल पर तेल का दिया जलाये ,या किसी बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना क्षाया देखें और बर्तन तेल के साथ दान करे. क्योंकि शनि देव तेल के दान से अधिक प्रसन्ना होते है, या हनुमान जी की पूजा करे और बजरंग बाण का पथ करे, शनि के लिए काले साबुत उड़द एवं लोहे की वस्तु का दान करें.
8. राहु : जौ या मूली या काली सरसों का दान करें या अपने सिरहाने रख कर अगले दिन बहते हुए पानी में बहाए
9. केतु : मिट्टी के बने तंदूर में मीठी रोटी बनाकर 43 दिन कुत्तों को खिलाएँ या सवा किलो आटे को भुनकर उसमे गुड का चुरा मिला दे और 43 दिन तक लगातार चींटियों को डाले, या काला सफ़ेद कम्बल कोढियों को दान करें या आर्थिक नुक्सान से बचने के लिए रोज कौओं को रोटी खिलाएं. या काला तिल दान करे,

काले तिल के ये उपाय करने से दूर होता है दुर्भाग्य

उपाय 1
हर रोज एक लोटे में शुद्ध जल भरें और उसमें काले तिल डाल दें। अब इस जल को शिवलिंग पर "ऊँ नम: शिवाय" मंत्र जप करते हुए चढ़ाएं। जल पतली धार से चढ़ाएं और मंत्र का जप करते रहें। जल चढ़ाने के बाद फूल और बिल्व पत्र चढ़ाएं। इस उपाय से शुभ फल प्राप्त होने की संभावनाएं बढ़ती हैं।
उपाय 2
कुंडली में शनि के दोष हों या शनि की साढ़ेसाती या ढय्या चल रही हो तो किसी पवित्र नदी में हर शनिवार काले तिल प्रवाहित करना चाहिए। इस उपाय से शनि के दोषों की शांति होती है।
उपाय 3
दूध में काले तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाएं। इससे बुरा समय दूर हो सकता है। यह उपाय हर शनिवार को करना चाहिए।
उपाय 4
काले तिल का दान करें। इससे राहु-केतु और शनि के बुरे प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। कालसर्प योग, साढ़ेसाती, ढय्या, पितृ दोष आदि में भी यह उपाय किया जा सकता है।
उपाय 5
हर शनिवार काले तिल, काली उड़द को काले कपड़े में बांधकर किसी गरीब व्यक्ति को दान करें। इस उपाय से पैसों से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं।
उपाय 6
हर रोज शिवलिंग पर काले तिल अर्पित करें। इससे शनि के दोष शांत होते हैं। पुराने समय से चली आ रही बीमारियां भी दूर हो सकती हैं।
उपाय 7 
शनि दोषों और राहु-केतु के दोषों से बचने के लिए हर शनिवार नहाने के पानी में थोड़े से काले मिलाएं और फिर उस जल से स्नान करें। ज्योतिष की पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस उपाय से शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है। 
उपाय 8
घर में सुख-शांति नहीं रहती हो और हमेशा वाद-विवाद होते रहते हों तो ये उपाय करें। उपाय के अनुसार शनिवार को किसी पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और उसमें काले तिल के तीन दाने डाल दें। यह उपाय हर शनिवार करें तो घर में वाद-विवाद कम हो सकते हैं। महीने में कम से कम दो बार करें ये उपाय 
उपाय 9
यदि आप शनि दोषों की कारण परेशानियों का सामना कर रहे हैं तो शनिवार के दिन किसी पीपल पर सफेद कपड़े का झंडा लगाएं। यह उपाय धन संबंधी कार्यों में शुभ फल प्रदान कर सकता है।
उपाय 10
किसी भी शनिवार की शाम को खड़ी उड़द के एक दाने पर थोड़ा सा दही और सिंदूर लगाएं और उसे किसी भी पीपल के नीचे रख आएं। वापस आते समय पीछे मुड़कर नहीं देखें। यह उपाय शनिवार से ही शुरू करना चाहिए। हर शनिवार यह उपाय करते रहें। निकट भविष्य में शनि कृपा से धन संबंधी कार्यों में लाभ मिल सकते हैं।