Friday, October 28, 2016

दीपावली पर्व श्रद्धा व विश्वास

futuresamacharfuturesamachar
दीपावली पर्व 5 पर्वों से मिलकर बना है - (धनतेरस, चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, यम द्वितीया)
  • पांचों दिन संध्या समय घर में कम से कम 5 दीपक (4 छोटे तथा 1 बड़ा ) अवश्य जलाएं।
  • दीपक कभी सीधे भूमि पर न रखें। उसके नीचे आसन अवश्य दें ,जैसे : पहले थोडे़ खील या चावल रखें , फिर उस पर दीपक रखें।
  • आंवले के फल में, गोबर में, शंख में, कमल में और सफेद वस्त्रों में लक्ष्मी का वास रहता है। इनका प्रयोग करें- आंवला सदा घर में या गल्ले में रखें
  • https://www.youtube.com/watch?v=RvQwSjpBzHg&t
  • https://www.youtube.com/watch?v=mTrTkjzLSWE
futuresamachar  धनतेरस  futuresamacharfuturesamachar
  • https://www.youtube.com/watch?v=5ut7Vr6ug8Q
  • धन तेरस के दिन हल्दी और चावल पीसकर उसके घोल से घर के प्रवेश द्वार पर ऊँ बना दें।
  • सुबह दातुन से मुंह धोना चाहिए (स्कन्दपुराण)
  • इस दिन चांदी खरीदना शुभ होगा। इस दिन लक्ष्मी जमादार के घर रहती हैं !
  • इस दिन बर्तन खरीद कर घर में लाते समय खाली न लाएं उसमें कुछ मीठा अवश्य डाल कर लाएं। 
  • इस दिन ऐसे पेड़ की टहनी तोड़ कर लाएं, जिस पर चमगादड़ रहते हों।
    इसे अपने बैठने की जगह के पास रखें, लाभ होगा। 
  • इस दिन यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। रात्रि में महिलाएं
    ४ बत्तियों का तिल के तेल का दीपक  जलाती हैं। जल, रोली, चावल, गुड़ और फूल आदि मिठाई सहित दीपक जलाकर पूजा की जाती है। पूजन कर दक्षिण दिशा (South) की ओर मुंह करके यम से निम्न प्रार्थना करें"म्रत्युना दंडपाशाभ्याँ कालेन श्याम्या सह , त्रयोदश्याँ दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम॥"
    यह क्रिया यम दीपदान कहलाती है, कोशिश करनी चाहिए की दीपक  रात भर जलता रहे ऐसा करने से यमराज जी प्रसन होते है । 
  • धनतेरस की सायं से शुरू करके 51 माला रोज़ाना इन मंत्रों का क्रमवार जप करें और असर देखें।
    मंत्र हैं- ॐ आधलक्ष्म्यै नम:। ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:। ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:। ॐ अमृतक्ष्म्यै नम:। ॐ कामलक्ष्म्यै नम:। ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:। ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:। ॐ योगलक्ष्म्यै नम:।
  •  धनतेरस के दिन पांच रुपए का साबुत धनिया खरीदें। इसे संभालकर पूजा घर में रख दें।
    दीपावली की रात लक्ष्मी माता के सामने साबुत धनिया रखकर पूजा करें। अगले दिन प्रातः साबुत धनिया को गमले में या बाग में बिखेर दें
    माना जाता है कि साबुत धनिया से हरा भरा स्वस्थ पौधा निकल आता है तो आर्थिक स्थिति उत्तम होती है। धनिया का पौधा हरा भरा लेकिन पतला है तो सामान्य आय का संकेत होता है। पीला और बीमार पौधा निकलता है या पौधा नहीं निकलता है तो आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
  • भगवान धन्वंतरी की साधना के लिये एक साधारण मंत्र है:
    "ॐ धन्वंतरये नमः॥" 
futuresamachar  नरक चतुर्दशी  futuresamacharfuturesamachar
  • इस दिन तिल्ली के तेल से मालिश और शरीर पर उबटन भी लगाना चाहिए
    इस दिन (तिल्ली के तेल में "लक्ष्मी जी" और जल में "गंगा जी" का निवास माना गया है ), स्नान से पूर्व "वरुण देवता" का ध्यान करते हुए जल में हल्दी और कुमकुम डालकर स्नान करना अत्यंत उत्तम माना गया है ।
  • स्नान से पूर्व तुम्बी (लौकी का टुकड़ा) और अपामार्ग (आठ उंगली लकड़ी का टुकड़ा) इन दोनों को अपने सर के चारों ओर सात बार घुमाएँ इससे नरक का भय समाप्त होता है ।साथ ही यह कहें
    "हे तुम्बी , हे अपामार्ग आप बार-बार फिराएं जाते हो , आप मेरे पापों को दूर करों ओर कुबुद्धि का नाश करों " स्नान के पश्चात् इस तुम्बी ओर अपामार्ग को घर के दक्षिण दिशा में विसर्जित कर देना चाहिए । आज के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने से मनुष्य नरक के भय से मुक्त हो जाता है |
    लेकिन सूर्य उदय होने के बाद स्नान करने वाले व्यक्ति के पिछले एक वर्ष के सभी पुण्यकार्य समाप्त हो जाते है ।
  • प्रातःकाल स्नान करने के बाद सबसे पहले लक्ष्मी विष्णु की प्रतिमा अथवा फोटो को कमलगटट्े की माला और पीले पुष्प अर्पित करें, धन लाभ होगा।
  • आज के दिन "हनुमान जयंती" के रूप में भी मनाया जाता है ।
    ७ बार बजरंग बाण का पाठ करें , फिर हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाकर ५ लौंग कपूर के साथ जलाएं ,उस भस्म को पुडिया बना कर संभल लें , उसका तिलक लगा कर बाहर जाने पर कोई भी शत्रु आपको परस्त नहीं कर पायेगा ।
    * "ॐ हं हनुमंतये नम:" मंत्र का जप करें।
    * "हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्" का रुद्राक्ष की माला से जप करें
    * "ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा" का रुद्राक्ष की माला से जप करें
  • आज के दिन एक नारियल पर कमिया सिंदूर,मोली,अक्षत(चावल) अर्पित करके उसका पूजन करें फिर उसको किसी हनुमान मंदिर में अपनी मनोकामना बोलते हुए चड़ा दें निश्चय ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी ।
  • रूप चतुर्दशी के दिन 5 प्रकार के पुष्पों की माला में दूर्वा व बिल्वपत्र लगाकर देवी को अर्पित करें। माल्यार्पण करते समय मौन रखें यह प्रयोग प्रभावकारी होकर यश की वृद्धि करता है।
  • घर में धन वृद्धि के लिए नरक चतुर्दशी के दिन लाल चन्दन लाल गुलाब के पांच फूल और रोली लाल कपड़े में बाँधकर पूजा करें, उसके पश्चात् अपनी तिजोरी में रखें। इस दिन ऐसा करने से घर में धन रूकने लगता है।
  • इस दिन संध्या के समय घर की पश्चिमी(West) दिशा में खुले स्थान पर अथवा छत के पश्चिम में
    14 दीपक
    पूर्वजों के नाम
    से जलाएं। उनके आशीर्वाद से समृद्धि प्राप्त होगी।
  • इस दिन सांयकाल घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर ४ बत्तियों का दीपक जलाकर "धर्मराज" का ध्यान करते हुए पूरब दिशा (East) की ओर मुखं करके दीप दान करना चाहिए इससे व्यक्ति के यम के मार्ग का अंधकार समाप्त हो जाता है। 
  • छोटी दीपावली के उपाय / हनुमान जयंती के उपाय 
  • ‘नरक-चतुर्दशी’, ‘छोटी दीपावली’, ‘रूप-चतुर्दशी’, ‘यमराज निमित्य दीपदान‘
  • https://www.youtube.com/watch?v=f6rWPba6DH8
    दीपावली   futuresamacharfuturesamachar
  • लक्ष्मी विष्णुप्रिया हैं। दीपावली पूजन के समय गणेश-लक्ष्मी के साथ विष्णु जी की स्थापना अनिवार्य है। लक्ष्मी जी के दाहिनी ओर विष्णु जी तथा बाईं ओर गणेश जी को रखना चाहिए। (V-L-G) 
  • दीपावली के दिन किसी गरीब सुहागिन स्त्री को सुहाग सामग्री दान दें। साम्रगी में इत्र अवश्य होना चाहिए। 
  • दीपावली पर ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करते समय नहाने के पानी में कच्चा दूध और गंगाजल मिलाएं। सूर्य को जल, लाल पुष्प  अर्पित करें।
  • दीपावली के दिन प्रातः काल मां लक्ष्मी के मंदिर जाकर लक्ष्मी जी को पोशाक चढ़ाएं, खुशबुदार गुलाब की अगरबत्ती जलाएं, झाड़ू का दान करें, धन प्राप्ति का मार्ग खुलेगा।
  • दीपावली पर सुबह-सुबह शिवलिंग पर तांबे के लोटे से केसर-जल अर्पित करें। 
  • दीपावली के दिन प्रातः काल पीपल पेड़ में गुड मिश्रित जल चढ़ावे और दीपक में दो लौंग डाल कर जलावे, देखिये आपकी आर्थिक समस्याओं का अंत तुरंत कैसे होता हैं।
  • दीपावली पर तालाब या नदी में मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं। शास्त्रों के अनुसार इस पुण्य कर्म से बड़े-बड़े संकट भी दूर हो जाते हैं।
  • दिवाली के दिन सुबह गाय को आटे की पांच लोई सीधे हाथ से खिलायें और उसकी लार जो हथेली पर लगे, उसे अपने सिर से पौंछ लें
  • दीपावली पर किसी गरीब व्यक्ति को काले कंबल का दान करें। ऐसा करने पर शनि और राहु-केतु के दोष शांत होंगे और कार्यों में आ रही रुकावटें दूर हो जाएंगी। 
  • दीपावली को प्रातः काल महालक्ष्मी के चित्र के समक्ष घी का दीपक, 2 लौंग डालकर जलाएं
    नैवेद्य में खीर या हलवा रखें। तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें और ‘‘ऊँ नमो महालक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का जाप करें। लक्ष्मी प्रसन्न रहेगी और घर में वास रहेगा।
  • देवी लक्ष्मी की आरती चाँदी की कटोरी मे कपूर और 9 बत्ती के दीपक से करने पर माता लक्ष्मी अवश्य ही कृपा करती है। सभी प्रकार के संकटों से अवश्य ही मुक्ति मिलती है।
    दिवाली पूजन के समय श्रीं श्रीं श्रीं मन में जपते रहें
  1. लक्ष्मी पूजन करते समय 9 गोमती चक्र, 5 कौड़ी, 5 साबुत सुपारी, काली हल्दी गंगाजल से धोकर चांदी की कटोरी या थाली में रखकर लक्ष्मी जी को चढ़ाएं और उन पर हल्दी कुमकुम लगाएं। अगले दिन इन्हें लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें। इससे आय में वृद्धि होगी।
  2. 11 सफ़ेद गुंजा को भी पूजा स्थल में रखे। धन स्थान में चाँदी कि डिबिया में बांधकर स्थापित कर दें,ऐसा करने से घर में अटूट लक्ष्मी का निवास होता है।
  3. पूजा में मां लक्ष्मी के चरणों में 1 लाल तथा 1 सफेद हकीक पत्थर रखें।
    दोनों के योग से चंद्र - मंगल लक्ष्मी योग बनता है। पूजा के बाद इन्हें अपने पर्स में रख लें। 
  4.  पूजन स्थल पर आम पेड़ के पत्तों का बंदनवार लगाएं। बरगद के 5 तथा अशोक वृक्ष के 3 पत्ते भी लाएं। बरगद के पत्तों पर हल्दी मिश्रित दही से स्वास्तिक चिह्न बनाएं तथा अशोक के पत्तों पर श्री लिखें। पूजा में इन पत्तों को रखें। पूजा के बाद इन्हें धन रखने के स्थान पर रख दें।
  5. दीपावली पर अशोक पेड़ के पत्तों से वंदनद्वार बनाएं और इसे मुख्य दरवाजे पर लगाएं। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी।
  6. हल्दी से रंगे हुए कपड़े के एक टुकड़े में एक मुट्ठी नाग केसर , एक मुट्ठी गेहूं , हल्दी की एक गांठ , तांबे का एक सिक्का , एक मुट्ठी साबुत नमक  और तांबे की छोटी-सी चरण पादुकाएं, एक साबुत हरड़, बांधकर रसोई घर में टांग दें। यह एक चमत्कारी उपाय है। इससे मां लक्ष्मी जी के साथ मां अन्नपूर्णा की भी कृपा प्राप्त होती है तथा पारिवारिक कलह भी दूर होता है।
  7. दीपावली के दिन अपने मुख्य द्वार पर सरसों का तेल का दीपाक जलायें। फिर उसमें काली गुंजा के दो-चार दाने और कौडी (पीठ ऊपर कि और) डाले दें इससे घर में सुख शान्ति आती है।
  8. लक्ष्मी पूजन के समय एक नारियल लें और उस पर अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि अर्पित करें और उसे भी पूजा में रखें। 
  9. किसी कटोरी में पान के पत्ते के ऊपर नैवेद्ध (प्रसाद) रखें उस पर लौंग का जोड़ा अथवा इलायची रखकर तब वह सामग्री माँ लक्ष्मी को अर्पित करनी चाहिए ।
  10. रात को सोने से पहले किसी चौराहे पर तेल का दीपक जलाएं और घर लौटकर आ जाएं। ध्यान रखें पीछे पलटकर न देखें।
  11. दीपावली की रात पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं। ध्यान रखें दीपक लगाकर चुपचाप अपने घर लौट आए, पीछे पलटकर न देखें।
  12. यदि संभव हो तो रात के समय किसी श्मशान में दीपक जरूर लगाएं। पैसा प्राप्त करने के लिए यह एक चमत्कारी टोटका है।
  13. आर्थिक संकट हो, तो दीवाली के दिन एक मिट्टी के बर्तन में शहद भर कर उसे ढँककर किसी सुनसान स्थान में गाड़ दें उसके सारे संकट समाप्त हो जायेंगे।
  • दीपावली के दिन नई झाडू खरीद लाएं। पूजा से पहले उससे थोड़ी-सी सफाई करें। इसके झाड़ू को किसी स्वच्छ और पवित्र स्थान पर रख दें। लक्ष्मी पूजन होने के बाद कुमकुम व चावल से इस झाड़ू की भी पूजन करें। लाल रंग के पचरंगी नाड़े को उस पर पांच बार लपेटकर बांधें।
    अगले दिन से उसका प्रयोग करें। द्ररिदता दूर भागेगी और लक्ष्मी का आगमन होगा।
    (1, 3 या 5.(विषम संख्या में हो) इस तरह से झाड़ू खरीदना अधिक शुभदायक रहेगा।)
  • दीपावली पर तेल का दीपक जलाएं और दीपक में एक लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें
    किसी हनुमान मंदिर जाकर ऐसा दीपक भी लगा सकते हैं।
  • दीपावली को लक्ष्मी पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और डमरू बजाना चाहिए।
  • दीपावली की रात को पूजा के बाद लक्ष्मी जी की आरती न करें। इसके बजाय , श्रीसूक्त , लक्ष्मी सूक्त , पुरुष सूक्त, कनकधारा स्तोत्र आदि का पाठ कर सकते हैं , आरती नहीं
    पूरी रात लक्ष्मी जी का आवाहन करना चाहिए। आरती का अर्थ होता है पूजन समाप्त, जो ठीक नहीं है।
  • गुग्गल की धुनी देने से लक्ष्मी जी का आकर्षण होता हैं।  गुग्गल को कूट कर उसकी छोटी छोटी गोलिया बना ले तथा उसे हर एक इस मंत्र के साथ होम करते रहे यह आप १०८ बार कर सकते हैं।
     "ॐ श्री ह्रीं ऐं महालक्ष्मी स्वाहा और ॐ यक्षराज कुबेराए स्वाहा।"
     यह लक्ष्मी जी का आकर्षण करने के लिए एक उत्तम उपाए हैं
  • "ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्म्यै नमः" का जाप करें।
    जप रूद्राक्ष, स्फटिक, लाल चंदन या कमल गट्टे की माला से करें। आर्थिक उन्नति होगी ।
     
  • प्रथम पूज्य श्रीगणेश को दूर्वा की 21 गांठ गणेशजी को चढ़ाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। दीपावली के शुभ दिन यह उपाय करने से गणेशजी के साथ महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।
  • दीपावली की रात में लक्ष्मी और कुबेर देव का पूजन करें और यहां दिए एक मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें।
    "ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रववाय, धन-धान्यधिपतये धन-धान्य समृद्धि मम देहि दापय स्वाहा।"
  •  
    Mahalakshmi Mantra
    "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:।।"
    Om Shreem Hreem Shreem Kamale Kamalalaye Praseed Praseed
    Om Shreem Hreem Shreem Mahalakshmaye Namah ||
    Lakshmi Beej Mantra
    ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः।।
    Om Hreem Shreem Lakshmibhayo Namah ||
    Lakshmi Gayatri Mantra
    "ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।"

futuresamachar  गोवर्धन पूजा   futuresamacharfuturesamachar
  • गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस दिन गेहूँ, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों से बने भोजन को पकाया जाता है और भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है। 
  • इस दिन गाय के गोबर का दीपक बनाकर उसमें पुराने गुड़ की एक डेली और मीठा तेल डालें और दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार के बीच में रख दें इससे सुख समृद्धि घर में सदा बनी रहेगी।
पूजन विधि:
  • इस दिन प्रात:गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है। अनेक स्थानों पर इसके मनुष्याकार बनाकर पुष्पों, लताओं आदि से सजाया जाता है। शाम को गोवर्धन की पूजा की जाती है। पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, फूल, खील, बताशे आदि का प्रयोग किया जाता है।
  • गोवर्धन में ओंगा (अपामार्ग) अनिवार्य रूप से रखा जाता है।
  • पूजा के बाद गोवर्धनजी के सात परिक्रमाएं उनकी जय बोलते हुए लगाई जाती हैं। परिक्रमा के समय एक व्यक्ति हाथ में जल का लोटा व अन्य खील (जौ) लेकर चलते हैं। जल के लोटे वाला व्यक्ति पानी की धारा गिराता हुआ तथा अन्य जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी करते हैं।
  • गोवर्धनजी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं। इनकी नाभि के स्थान पर एक कटोरी या मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है। फिर इसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांट देते हैं।
  • अन्नकूट में चंद्र-दर्शन अशुभ माना जाता है। यदि प्रतिपदा में द्वितीया हो तो अन्नकूट अमावस्या को मनाया जाता है।
  • इस दिन प्रात:तेल मलकर स्नान करना चाहिए।
  • इस दिन सन्ध्या के समय दैत्यराज बलि का पूजन भी किया जाता है।
  • गोवर्धन गिरि भगवान के रूप में माने तेजा हैं और इस दिन उनकी पूजा अपने घर में करने से धन, धान्य, संतान और गोरस की वृद्धि होती है। आज का दिन तीन उत्सवों का संगम होता है।
 futuresamachar यम द्वितीया   futuresamachar
  • भाई दूज के दिन एक मुट्ठी अखंडित बासमती चावल को बहते जल में महालक्ष्मी को याद करते हुए छोड़ें, धन की वृद्धि बनी रहेगी।


Thursday, October 27, 2016

लक्ष्मी पूजन में पंद्रह के यन्त्र

  • लक्ष्मी पूजन में पंद्रह के यन्त्र का विशेष महत्व है । यह यन्त्र ऋण व दरिद्रता का नाश करके अन्न धन व्यापार की वृद्धि करने वाला है ।
  • इस यन्त्र को लक्ष्मी पूजन से पहले अपने घर के दरवाजे या दूकान के दरवाजे के दोनों और सिन्दूर हल्दी घी मिश्रित घोल से लिखना चाहिये 
  • ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य एवं शूद्र - सभी के लिए यन्त्र का नंबर अलग अलग है । 

ब्राह्मणो एवं पंडितो के लिए
८ 
१ 
६ 
३ 
५ 
७ 
४ 
९ 
२ 


क्षत्रियों के लिए 
४ 
३ 
८ 
९  
५ 
१ 
२ 
७ 
६ 


वैश्य व व्यापारियों के लिए 
२ 
९ 
४ 
७ 
५ 
३ 
६ 
१ 
८ 


शूद्रों के लिए
६ 
७  
२ 
१ 
५ 
९ 
८ 
३ 
४ 

नोट : अपने कर्म के हिसाब से ही यन्त्र बनायें । ब्राह्मण अगर व्यापार कर रहा है तो वैश्य वाला यन्त्र बनाये । 

Tuesday, October 25, 2016

दिवाली पूजा विधि

लक्ष्मीजी को कुछ वस्तुएँ विशेष प्रिय हैं।

उनका उपयोग करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इनका उपयोग अवश्य करना चाहिए। 
  • वस्त्र में इनका प्रिय वस्त्र लाल-गुलाबी या पीले रंग का रेशमी वस्त्र है।
  • पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय है।
  • फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं।
  • सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन।
  • अनाज में चावल तथा मिठाई में घर में बनी शुद्धता पूर्ण केसर की मिठाई या हलवा, शिरा का नैवेद्य उपयुक्त है।
  • प्रकाश के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल इनको शीघ्र प्रसन्न करता है।
  • अन्य सामग्री में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र का पूजन में उपयोग करना चाहिए।
पूजा की सामग्री
  1. लक्ष्मीश्री गणेश की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में)
  2. केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग.
  3. सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, 
  4. 11 दीपक
  5. रूई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश चाहिए.
पूजा की तैयारी
  • चौकी पर लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे।
    लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। 
  • कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। 
  • नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है।
  • दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अतिरिक्त एक दीपक गणेशजी के पास रखें।
  • मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। 
  • कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक 9 ढेरियां बनाएं। 
  • गणेशजी की ओर चावल की 16 ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं।
  • नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।
  • इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचोंबीच लिखें।
  •  छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें। 
थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें :
  1. 11 दीपक, 
  2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान, 
  3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।
सबसे पहले पवित्रीकरण करें :
आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में मंत्र पढ़ें। इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें।
ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥


अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और
मां पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें :
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः


अब आचमन करें :पुष्प, चम्मच या अंजुलि से एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ केशवाय नमः
और फिर एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ नारायणाय नमः
फिर एक तीसरी बूंद पानी की मुंह में छोड़िए और बोलिए-
ॐ वासुदेवाय नमः
फिर
ॐ हृषिकेशाय नमः
कहते हुए हाथों को खोलें और अंगूठे के मूल से होंठों को पोंछकर हाथों को धो लें। पुनः तिलक लगाने के बाद प्राणायाम व अंग न्यास आदि करें। आचमन करने से विद्या तत्व, आत्म तत्व और बुद्धि तत्व का शोधन हो जाता है तथा तिलक व अंग न्यास से मनुष्य पूजा के लिए पवित्र हो जाता है।

दीवाली लक्ष्मी पूजन विधि


एक पट्टे पर लाल कपड़ा बिछाकर पट्टे को चारों ओर से कलावे से बांध दें। फिर इस पर हल्दी और आटे से एक अष्टदल कमल या श्री लक्ष्मी यंत्र बनाएं। पट्टे पर एक ओर लघु नारियल और दूसरी ओर दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करें। पट्टे के नीचे दायीं ओर चावल की ढेरी पर एक कलश स्थापित करें। पूजा प्रारंभ करने से पूर्व साधक दुरात्माओं और आसुरी शक्तियों को भगाने के लिए चारों दिशाओं में राई या सरसों फेंकें तथा पवित्रीकरण मंत्र से अपने चारों ओर पवित्र जल से छींटे डालें।

हाथ में जल लेकर संकल्प मंत्र से पूजा का संकल्प लें

मैं (अपना नाम बोलें), सुपुत्र श्री (पिता का नाम बोलें), जाति (अपनी जाति बोलें), गोत्र (गोत्र बोलें), पता (अपना पूरा पता बोलें) अपने परिजनो के साथ जीवन को समृध्दि से परिपूर्ण करने वाली माता महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिये कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन महालक्ष्मी पूजन कर रहा हूं। हे मां, कृपया मुझे धन, समृध्दि और ऐश्वर्य देने की कृपा करें। मेरे इस पूजन में स्थान देवता, नगर देवता, इष्ट देवता कुल देवता और गुरु देवता सहायक हों तथा मुझें सफलता प्रदान करें।

यह संकल्प पढकर हाथ में लिया हुआ जल, पुष्प और अक्षत आदि श्री गणेश-लछ्मी के समीप छोड दें

वरुण (कलश) पूजनम
वरुण देवता का आवाहन कर कलश पूजन करें |
पाद्यं समर्पयामि, अघ्र्य समर्पयामि, आचमनं समर्पयामि, पंचामृत स्नानं समर्पयामि, वस्त्रं समर्पयामि, पुश्प्मालाय्म समर्पयामि,धूपं दीपं द्रश्यमी,नवैध्येम निवेदयामि, ऋतुफलं समर्पयामि, दक्षिणाम समर्पयामि आदि मंत्र से षोडशोपचार पूजन करें।
इसके बाद हाथ जोड़ कर वरुण देवता को नमस्कार करें |

श्री गणपति पूजनम
हाथ में चावल और फूल लेकर गणेशजी का अहवान करें|
ओम विनायकम मह्त्पुश्यम सर्वदेव नमस्कृतं सर्वविघ्नाहरम गौरीपुत्रं आवाहयाम |
हाथ के चावल और फूल गणेश जी पर छोड़ दें |
ध्यान :
गजाननं भूतगणादि सेवितं कपित्थ जम्बूफल चारु भक्षण्म्।
उमासुत शोकविनाशकं, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
श्री मन्महागणाधिपतये नमः।

गणपति पूजन :
ओम गं गणपतये नम : स्नानं समर्पयामि
जल गणेश जी को स्नानं अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : वस्त्रं समर्पयामि
कलावा तोड़ कर अथवा वस्त्र गणेशजी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : यज्ञोपवीतं समर्पयामि
कलावा गणेश जी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : गन्धं समर्पयामि
इत्र गणेशजी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : पुश्प्मालाय्म समर्पयामि
गणेश जी को फूलमाला अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : धूपं दीपं द्रश्यमी
धूप दीप को हाथ से गणेशजी को दिखाएँ
ओम गं गणपतये नम : नवैध्येम निवेदयामि
मिष्ठान व खील बताशे , खिलोने गणेश को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : ऋतुफलं समर्पयामि
फल गणेश जी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : ताम्बूलं पुन्गिफलम समर्पयामि
एक पान के पत्ते पर सुपारी इलायची लौंग रख कर गणेशजी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : दक्षिणाम समर्पयामि
यथायोग्य दक्षिणा अर्पित करें |


षोडश मातृका पूजन
पूजा कि थाल पर त्रिशूल अंकित करें | त्रिशूल पर अक्षत चढ़ाते हुए यह प्रार्थना करते हुए षोडश मातृकाओं का आवाहन व् नमस्कार करें |
बेग पधारो गेह मम , सोलह माता आप |
वश बढे पीड़ा कटे , मिटे शोक संताप ||
पाद्यं समर्पयामि, अघ्र्य समर्पयामि, आचमनं समर्पयामि, पंचामृत स्नानं समर्पयामि, वस्त्रं समर्पयामि, पुश्प्मालाय्म समर्पयामि,धूपं दीपं द्रश्यमी,नवैध्येम निवेदयामि, ऋतुफलं समर्पयामि, दक्षिणाम समर्पयामि

आदि मंत्र से षोडश मातृकाओं का का षोडशोपचार पूजन करें और उनको नमस्कार करें |

नवग्रह पूजनम
अब पूजा कि थाल में कुमकुम कि नौ बिंदियों पर अक्षत अर्पित करते हुए नवग्रहो का आवाहन करें |
रवि शशि मंगल बुध गुरु , शुक्र शनि महाराज |
राहु केतु नव गृह नमो, सकल संवारो काज ||
पाद्यं समर्पयामि, अघ्र्य समर्पयामि, आचमनं समर्पयामि, पंचामृत स्नानं समर्पयामि, वस्त्रं समर्पयामि, पुश्प्मालाय्म समर्पयामि,धूपं दीपं द्रश्यमी,नवैध्येम निवेदयामि, ऋतुफलं समर्पयामि, दक्षिणाम समर्पयामि

आदि मंत्र से नवग्रह देवताओ का षोडशोपचार पूजन करें और फिर उनको नमस्कार करें |

कुबेर पूजनम :
सर्वप्रथम निम्नलिखित मन्त्र के साथ कुबेरजी महाराज का आवाहन करें-
आवाहयामि देव त्वामिहायामि कृपां कुरु ।
कोशं वर्द्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर ॥

अब हाथ में अक्षत लेकर निम्नलिखित मंत्र से कुबेरजी का ध्यान करें
मनुजवाह्यविमानवरस्थितं,
गरुडरत्ननिभं निधिनायकम ।
शिवसखं मुकुटादिविभूषितं,
वरगदे दधतं भज तुन्दिलम ॥
हाथ में लिए हुए अक्षतों को कुबेरयंत्र, चित्र या विग्रह के समक्ष चढा दें.
पाद्यं समर्पयामि, अघ्र्य समर्पयामि, आचमनं समर्पयामि, पंचामृत स्नानं समर्पयामि, वस्त्रं समर्पयामि, पुश्प्मालाय्म समर्पयामि,धूपं दीपं द्रश्यमी,नवैध्येम निवेदयामि, ऋतुफलं समर्पयामि, दक्षिणाम समर्पयामि

आदि मंत्र से कुबेरजी का षोडशोपचार पूजन करें और फिर उनको नमस्कार करें |

श्री लक्ष्मी पूजनम्
हाथ में पुष्प लेकर श्री महालक्ष्मी का आवाहन करें-
ॐ हिरण्यवर्णा हरिणी सुवर्ण रजतस्त्रजाम्।
चंद्रा हिरण्यमयी लक्ष्मी जातवेदो मे आवह।।
ॐ श्रीं हृीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः आवाहनंचासनं समर्पयामि।

हाथ में अक्षत, पुष्प और जल लेकर पद्मासन में बैठकर श्री महालक्ष्मी देवी का ध्यान करें
हस्त द्वयेन कमले धारयंती स्वलीलया।
हारनूपुर संयुक्ता लक्ष्मी देवी विचिन्तयेत।।


अष्टलक्ष्मी पूजन
श्री महालक्ष्मी की स्थपना और ध्यान के पश्चात् दाएं हाथ में रोली, अक्षत और पुष्प लेकर अष्ट लक्ष्मियों को अर्पित करते हुए नमस्कार करें-
ॐ आद्या नमः ॐ विद्या लक्ष्म्यै नमः ॐ सौभाग्य लक्ष्म्यै नमः ॐ अमृत लक्ष्म्यै नमः ॐ काम लक्ष्म्यै नमः ॐ सत्य लक्ष्म्यै नमः ॐ भोग लक्ष्म्यै नमः ॐ योग लक्ष्म्यै नमः।

दीप अर्पण मंत्र :
इसके पश्चात् श्री महालक्ष्मी को पांच ज्योतियों वाला गोघृत का दीपक निम्न मंत्र के द्वारा अर्पित करें-
ॐ कर्पासवर्ति संयुक्तं घृतयुक्तं मनोहरम्।
तमो नाशकरं दीपं ग्रहणं परमेश्वरी।।


 दीप प्रज्वलन मंत्र
शुभम करोति कल्याणम आरोग्यं धन सम्प्रद्य I
शत्रु वृद्धि विनाशाय दीप ज्योति नमोस्तुते II


श्रीसूक्त के मंत्रों से श्री महालक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करें।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः पाद्यं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः अघ्र्य समर्पयामि,ॐ महालक्ष्म्यै नमः आचमनं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः पुश्प्मालाय्म समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः धूपं दीपं द्रश्यमी, ॐ महालक्ष्म्यै नमः नवैध्येम निवेदयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः ऋतुफलं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः दक्षिणाम समर्पयामि 
आदि मंत्र से महालक्ष्मीजी का षोडशोपचार पूजन करें|
त्रैलोक्य पूजिते देवि कमले विष्णु वल्लभे। यथ त्वमचला कृष्णे तथा भावभार्य स्थिरा।।
ईश्वरी कमला लक्ष्मीश्चला भूतिहरिप्रिया। पद्मा पद्मालया संपदुच्चैः श्री पद्माधारिणी।।
द्वादश एतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्यः पठेत्। स्थिर लक्ष्मी केतस्थ पुत्रदारादिभिः सह।।
ॐ हृीं महाक्ष्म्यै च विद्महै, विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
श्रीं हृीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद। श्रीं हृीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः।।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

आदि मंत्रो से महादेवी को नमस्कार करें |

सरस्वती पूजन :
दीपावली पर सरस्वती पूजन करने का भी विधान है. इसके लिए लक्ष्मी पूजन करने के पश्चात निम्नलिखित मन्त्रों से मॉं सरस्वती का भी पूजन करना चाहिए|
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
हाथ में लिए हुए अक्षतों और फूलो को मॉं सरस्वती के चित्र के समक्ष चढा दें|
माँ सरस्वती का षोडशोपचार पूजन करें और फिर उनको नमस्कार करें |
सरस्वती महाभागे देवि कमललोचने ।
विद्यारुपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तुते ।
कलम दवात आदि की भी पूजा करें | यह माँ काली की पूजा का प्रतिक होता है |
पहले गणेशजी की आरती करें | फिर माँ लक्ष्मी की आरती करें |
आरती के बाद दोनों हाथों से फूल लेकर पुष्पांजलि के रूप में माँ को अर्पित करें |
|| ॐ महालक्ष्म्यै नम: पुष्पांजलि समर्पयामि ||


समर्पण :
निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए महालक्ष्मी के समक्ष पूजन कर्म को समर्पित करें और इस निमित्त जल अर्पित करें :
कृतेनानेन पूजनेन भगवती महालक्ष्मीदेवी प्रीयताम न मम ॥

क्षमा प्रार्थना :
अब मॉं लक्ष्मी के समक्ष दण्डवत प्रणाम करें तथा अनजानें में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा मॉंगते हुए, देवी से सुख -समृद्धि, आरोग्य तथा वैभव की कामना करें|

Sunday, October 23, 2016

सम्पूर्ण दीपावली पूजन विधि

Diwali pujan vidhi (सम्पूर्ण दीपावली पूजन विधि)

दीपावली का अनुष्ठान कार्तिक मास अमावस्या से 5 दिन पहले शुरू होकर कार्तिक मास पूर्णिमा तक चलता है ! जिसमे लक्ष्मी प्राप्ति, कर्जमुक्ति, विवाह बाधा, संतान बाधा, पित्र दोष, शत्रु वशीकरण, ग्रह कलेश का उपाय किया जाता है !
कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी से पंच पर्व की शुरुआत माना गया है! इसी दिन माता तुलसी का भगवान् शालिग्राम से विवाह किया जाता है तथा तुलसी के पौधे पर लाल झंडा लगा दिया जाता है !


दीपावली से पांच दिन पहले :-
इस दिन माँ लक्ष्मी का वास गाय के पेट में होता है इस दिन गाय को हरा चारा खिलावें !
 

दीपावली से चार दिन पहले :-
इस दिन माँ लक्ष्मी मंदिर (देवालय) में होती हैं,  इस दिन मंदिर में दान अवश्य करें !


दीपावली से तीन दिन पहले :-
इस दिन माँ लक्ष्मी का वास लकडहारा के घर में होता है
उपाय : रात को 12 बजे से पहले मकान या दूकान के दक्षिण ( SE ) कार्नर में लोटे में जल भर कर रखे व् लोटे के ऊपर हल्दी से रंग कर कागज़ रख दें अब कागज़ के ऊपर पीला चावल, साबुत हल्दी, चांदी का सिक्का व् सिन्दूर रखें ! दूसरे दिन सूर्योदय से पहले कागज पर रखा सिक्का चावल, सिन्दूर अपनी तिजोरी में रखें व् थोडा सा जल पूरे परिवार को पीने को दें बाकी जल को पूरे घर में छिड़क दें, शेष जल को पौधे में डाल दें !
 

दीपावली से 2 दिन पहले :-
इस दिन को धन तेरस भी कहते हैं! इस दिन चांदी खरीदना शुभ होगा (सोना कदापि न खरीदें)
इस दिन लक्ष्मी जमादार के घर रहती हैं !इस दिन रात्री में कुबेर यन्त्र की स्थापना अपने घर के मंदिर में करें !
- सांयकाल डेढ़ किलो गेहू की ढेरी पर घर के ब्रह्म स्थान पर तिल के तेल का चौमुखी दीपक जलाएं ! यह दीपक पूरी रात जलने दें, हो सके तो यही दीपक दीपावली की रात्री तक जलने दें !

-  उपाय : रात्री 12 बजे के पहले एक बूंदी का लड्डू लेकर उसके अंदर दो कील इस तरह लगावें की X का निशान बन जाए! अब लड्डू को काले कपडे पर घर के दक्षिण दिशा में स्थापित कर उस पर थोडा सा सिन्दूर छिड़क दें व् एक निम्बू भी काट कर रख दें !
दूसरे दिन प्रातः सूर्योदय से पहले पूरी सामग्री को काले कपडे समेत जल प्रवाह कर दें !
- इसी दिन तिजोरी के अंदर थोडा सा साबुत चावल रंग कर एवं पीले कपडे में बांधकर भगवान् नारायण का नाम लेकर तिजोरी के अंदर रख दें !

- दीपावली की रात्री को माँ लक्ष्मी को रोकने के लिए 17  ग्राम की चांदी की कील खरीद कर रख लें !
उपाय : हलजुती मिटटी को दूध में भिगोकर उसमे सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरना चाहिए तथा कुमकुम लगाना चाहिए !
उपाय : घर के बाहर दरवाजे की डेरी पर आटे का दीपक बनाकर तिल डालकर तिलक के तेल से जलाना चाहिए
उपाय : व्यापारी अपने नए बहीखाते लाकर रखते हैं जिन्हें दीपावली के दिन पूजा जाता है !
उपाय : नया झाड़ू व् सूपा खरीद कर लाएं !
उपाय : अपनी नई गद्दी बिछाएं!
उपाय : इस दिन धनिया खरीदकर दीपावली के बाद गमले में बोते हैं !
उपाय : नील कंठ का दर्शन अवश्य करें !
उपाय : इस दिन वस्तु खरीदने से 13 गुना वृद्धि होती है !
उपाय : इसी दिन यम पूजा होती है !
 

दीपावली से 1 दिन पहले :-
नरक चतुर्दशी - छोटी दीपावली - हनुमान जयंती
नरक चतुर्दशी के  दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर बेसन के उबटन  में तिल का तेल मिलाकर पूरे शरीर पर मालिश करें  और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर उससे स्नान करने का बड़ा महात्मय है ! स्नान के पश्चात विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान् का दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायक कहा गया है ! इससे पाप कटता है और रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है !

इस दिन माँ लक्ष्मी का वास कुम्हार के घर में होता है ! इसी दिन माँ लक्ष्मी की दो, भगवान् गणेश की दो , नारायण की एक मूर्ती (मिटटी की ), राधा कृष्ण की एक मूर्ती और हनुमान जी की एक मूर्ति दीपावली पूजन के लिए लाकर रख लें !
सांयकाल को 365 बत्ती का दीपक अपने घर के दरवाजे पर सरसों के तेल में भिगोकर जलाएं ! जिसका मुख दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए! नरक चतुर्थी के दिन प्रातः काल स्नान से पूर्व परिवार के प्रत्येक सदस्य अपने सर के ऊपर से घिया (लौकी) लेकर सात बार उबार लें और उत्तर दिशा की तरफ फेंक दें ! इसके पश्चात तिल के तेल में बेसन मिलाकर शरीर पर मालिश करें तत्पश्चात नहाने के पानी में अपामार्ग का पौधा, केसर व् गंगाजल मिलाकर स्नान करें !
सांयकाल 16 छोटे-छोटे दीपक व् एक बड़ा(चौमुखा) दीपक घर के अंदर ब्रह्म स्थान पर (डेढ़ किलो गेहू की डेहरी पर ) जलाना चाहिए जबकि घर के मुख्या दरवाजे पर सरसों के तेल से भरा हुआ एक दीपक दक्षिण दिशा की तरफ जलाना चाहिए !


दीपावली के दिन :-
इस दिन माँ लक्ष्मी गृहस्थ के घर में प्रवेश करती हैं, इस दिन माँ लक्ष्मी को अपने घर में रोकने के सभी उपाय करना चाहिए ! परिवार के प्रत्येक सदस्य को प्रसन्न रहने चाहिए तथा सर्वप्रथम परिवार के मुखिया को बिस्तर से उठ कर सौच क्रिया से निवृत होकर 
किसी जरूरतमंद इंसान को नौ किलो गेहू का दान करना चाहिए! तत्पश्चात स्नान से निवृत्त होकर  
घर के मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ अनामिका ऊँगली द्वारा हल्दी अथवा सिन्दूर से नौ इंच लम्बा एवं नौ इंच चौड़ा स्वस्तिक बनाना चाहिए (स्वस्तिक को आप कागज़ पर भी बनाकर चिपका सकते हैं)

बरगद के तीन पत्ते लाकर साफ़  स्थान पर लक्ष्मी पूजन के लिए रख लें !
लक्ष्मी पूजन के लिए दो चांदी की डिबिया तथा एक चांदी का पत्रा जिस पर श्री लिखा हो, नागकेशर, शुद्ध शहद, श्री सूक्त की किताब, दक्षिणावर्ती शंख, मोती शंख, लक्ष्मी दायक कौड़ी, शियार सिंघी, बिल्ली का जेर, कामिया सिन्दूर, साबुत चावल पहले से लाकर रख लें !
सांयकाल को स्थिर लग्न में माँ लक्ष्मी का पूजन करें ! लक्ष्मी पूजन के समय दो लक्ष्मी की मूर्ती, दो गणेश की मूर्ती एक भगवान् नारायण की मूर्ती, एक हनुमान जी की मूर्ती तथा राधा कृष्ण की मूर्ती अवश्य रखें !
पूजन के समय प्रत्येक दीपक में एक-एक लक्ष्मी दायक  कौड़ी, लौंग, व् थोडा पुराना गुड दाल दें ! पूजन के स्थान पर गणेश लक्ष्मी की मूर्ती आमने-सामने रखें जिससे माता लक्ष्मी और गणेश भगवान् एक दूसरे को देखते रहे ! यानि की माँ लक्ष्मी के बाएँ तरफ भगवान् गणेश को विराजमान करें तथा माँ लक्ष्मी के दाहिने तरफ भगवान् नारायण को विराजमान करें ! शेष मूर्तियाँ आजू-बाजू में विराजमान करें ! कलश से भरा जल माँ लक्ष्मी के दाहिने हाथ की तरफ रखें जबकि घंटी व् दीपक माता लक्ष्मी के बाएँ हाथ की तरफ रखें ! पूजन का स्थान घर के अग्नि कोड में ही रखें ! दीपक भी इसी स्थान पर जलाएं ! माँ लक्ष्मी के पूजन के समय डेढ़ किलो गेहू की डेहरी पर घर के मध्य स्थान यानी की ब्रह्म स्थान पर दीपावली की पूरी रात तिल के तेल से भरा चौमुखा दीपक जलाएं ! दीपावली की रात्रि को घर के सभी दरवाजे व् खिड़कियाँ खुले रखें ! साथ ही दीपावली के दिन घर के प्रत्येक दरवाजों से माता लक्ष्मी के घर के अंदर आते हुए पैरों के निशान बनाएं जिसमे से कुछ आपकी तिजोरी की तरफ जा रहे हो, साथ ही पूजन स्थान की तरफ भी जा रहे हों ! दीपावली की पूरी रात्रि परिवार के प्रत्येक सदस्य माँ लक्ष्मी के भजन को गाते रहे तथा लक्ष्मी सहस्त्रनाम व् श्रीसूक्त का जप करते रहे , घर के सभी दरवाजे खुले रखें व् लाइट जला कर रखें, हवन इत्यादि भी करें किन्तु ध्यान रखें दीपावली की रात्री को माँ लक्ष्मी की आरती कदापि ना करें !


लक्ष्मी पूजन के समय बेरोजगार युवक-युवती चने दी दाल लेकर, अपने हाथों से माँ लक्ष्मी की मूर्ती पर डालें, तथा रोज़गार मिलने की प्रार्थना करते हुए खुद के डाले हुए चने की दाल को अपने हाथों से उठा कर बाहर कहीं साफ़ स्थान पर रख दें इससे रोज़गार मिलने की सम्भावना बढ़ जाएगी !

लक्ष्मी पूजन के पश्चात माँ लक्ष्मी की एक मूर्ती को लाल कपडे में लपेट कर तिजोरी के अंदर ऐसी जगह रख दें जहां की माता लक्ष्मी को बाहर की हवा पूरे वर्ष न लगे साथ ही माता लक्ष्मी से प्रार्थना करें की हे माँ भगवान् श्री नारायण के साथ मेरे ही घर में जब तक सूरज-चाँद रहे आप निवास करें ! इसके पश्चात सत्रह ग्राम वाली चांदी की कील को घर के अंदर मैं दरवाजे के ऊपर ढोंक दें और प्रार्थना करें "हे माता लक्ष्मी अब मेरे घर से तुम बाहर नहीं जा सकोगी" साथ ही शनि देव से प्रार्थना करें "हे शनि देव अब मेरे घर में माँ लक्ष्मी निवास कर रही हैं आप मेरे घर के तरफ कभी भी बुरी दृष्टि से न देखें तथा मेरे परिवार का कल्याण करें" इसके पश्चात भगवान् गणेश की एक मूर्ती को भी घर के मेन दरवाजे के  ऊपर अंदर की ओर  टांग दें और प्रार्थना करें की हे भगवान् गणेश हमारे घर से समस्त विघ्न-बाधाओं का नाश करो और सुख-समृधि प्रदान करो !
दीपावली पूजन के समय एक चांदी की डिबिया में हरश्रृगार का फूल भर कर रखें तथा एक चांदी की डिबिया में नाग केसर व् शहद भर कर रखें तथा एक चांदी के पत्रे पर श्री लिख कर उसपर नाग केसर चिपका दें, इन सभी को लक्ष्मी पूजन के पश्चात अपने घर की तिजोरी में रखें ! दीपावली पूजन के समय बरगद (बड़) के तीन पत्ते लाकर उसपर स्वस्तिक बना लें ! लक्ष्मी पूजन के पश्चात तीनो पत्तों का पूजन करें ! इसमें से एक पत्ते को घर की तिजोरी में रख दें दूसरे पत्ते को अनाज में रख दें, तथा तीसरे पत्ते को घर के मंदिर में स्थान दें !

माँ लक्ष्मी का पूजन गीले बालों या खुले हुए बालों से नहीं करना चाहिए !

माँ लक्ष्मी के पूजन के समय घर के अंदर दक्षिणा वर्ती शंख, मोती शंख एकंशी नारियल, सांप का केचुल, गोंमती चक्र, लक्ष्मी दायक कौड़ी, बिल्ली के जेर, शियार सिंघी, कामिया सिन्दूर, का भी विधिवत माँ लक्ष्मी के मन्त्रों से पूजन करें तथा पूजन के पश्चात सभी वस्तुएं ! अपने घर की तिजोरी में लाल कपडे में लपेट कर रख दें !
लक्ष्मी का पूजन करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए ! दीपावली की रात्री को यदि आपके घर में बिल्ली का आगमन हो तो उसे भूल कर भी ना भगाएं तथा यथासंभव सेवा करें ! इसके अलावा दीपावली की रात्री को छिपकली का दर्शन करना अति शुभ होता है !


दीपावली के दूसरे दिन (कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा)

1 . प्रातःकाल स्नान के पश्चात परिवार के प्रत्येक सदस्य के हिसाब से सवा किलो (प्रति व्यक्ति) अनाज ले कर रख लें व् दूसरे दिन किसी जरूरत मंद को दान करें !
2 . माँ अन्नपूर्ण की पूजा करें व् सवा पाव मक्खन से माँ को स्नान कराएँ!


दीपावली से तीसरे दिन,(कार्तिक शुक्लपक्ष द्वितीय)

1 . माँ लक्ष्मी को हिना इतर, दही, गन्ने के रस व् सरसों के तेल से स्नान कराएँ व् पूजन करें !
2 . भाई दूज का पवित्र त्यौहार इसी दिन मानते हैं !


दीपावली से चौथे दिन (कार्तिक शुक्ल पक्ष तृतीया):-
इस दिन माँ लक्ष्मी धन में रहती हैं !
उपाय : कलश के ऊपर 8 स्वास्तिक बनाकर उसमे जल भरकर उत्तर दिशा में रखें ! कलश के ऊपर कागज में हल्दी से रंग कर चांदी का सिक्का रखें, प्रातः कागज़ समेत सिक्के को तिजोरी में रखें व् जल को पूरे घर में छिड़क दें बाकी जल को पौधों में जल दें !


दीपावली से पांचवे दिन , कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी :-
इस दिन माँ लक्ष्मी वस्त्र में रहती हैं !
उपाय : रात को 7 बजे के बाद एक साबुत सुपारी लेकर अपने सर के दो बाल जड़ से उखाड़ कर सुपारी लपेट दें फिर सिन्दूर लगा कर उसे कलावे के सहारे मेन दरवाजे पर लटका दें !

दीपावली से छठा दिन, कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी :-
इस दिन माँ लक्ष्मी पातळ में रहती हैं ! इस दिन विशेष रूप से शादी में बाधा, क्रोध, मान्लिक दोष, बेरोज़गारी व् पति-पत्नी में कलेश का उपाय किया जाता हैं !

उपाय : दस से बारह साबुत हल्दी की गाँठ लें व् अपने पास ही रखें दूसरे दिन प्रातः अपने सर से 7 बार उबार कर जल प्रवाह कर दें !


दीपावली से सातवें दिन, कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी
:-
इस दिन माँ लक्ष्मी वायु में रहती हैं !
उपाय :
1 . हवन करें !
2 .जो साधक दीपावली की रात्री में लक्ष्मी को रोकने के लिए चांदी की कील का प्रयोग ना कर सके हो वह रात्री 10.30 से 12.30 के बीच 17 ग्राम की चांदी की कील घर के मेन दरवाजे के ऊपर अंदर की तरफ ढोंक दें ( इस दिन शनि पृथ्वी के पीछे रहता है, कील लगाने से शनि की दृष्टि हमारे ऊपर नहीं पड़ेगी)
3 . एक मुठ्ठी काला तिल काले कपडे में लपेट कर घर के ब्रह्म स्थान पर रात्री 7 बजे के बाद रख दें व् प्रातः  कपड़े समेत काले तिल को जल प्रवाह कर दें !

दीपावली से आठवे दिन :-
इस दिन गोपस्टमी  का त्यौहार मनाया जाता है !
इस दिन से पूर्णमासी तक प्रतिदिन पूजा की जाती है तथा मन्नत मांगने का यह उचित समय है !

उपाय:
१. बच्चे समेत गाय को नहलाएं टीका करें व् आटे की दो लोई में गुड़ डालकर खिलाएं (हाथ घर पर ही आकर धुलें), जलेबी खिलाएं व् वस्त्र अर्पित करें !
२. शाम को गाय की चरण वंदना करें व् चार कदम गाय से आगे अवश्य चलें व् चरण स्पर्श करें !
 
 दीपावली पूजन सामग्री की सूची

दीपावली पूजन सामग्री
  1. धूप बत्ती (अगरबत्ती)
  2. चंदन
  3. कपूर
  4. केसर
  5. यज्ञोपवीत 5
  6. कुंकु
  7. चावल
  8. अबीर
  9. गुलाल, अभ्रक
  10. हल्दी
  11. सौभाग्य द्रव्य- मेहँदी
  12. चूड़ी, काजल, पायजेब,
  13. बिछुड़ी आदि आभूषण
  14. नाड़ा
  15. रुई
  16. रोली, सिंदूर
  17. सुपारी, पान के पत्ते
  18. पुष्पमाला, कमलगट्टे
  19. धनिया खड़ा
  20. सप्तमृत्तिका
  21. सप्तधान्य
  22. कुशा व दूर्वा
  23. पंच मेवा
  24. गंगाजल
  25. शहद (मधु)
  26. शकर
  27. घृत (शुद्ध घी)
  28. दही
  29. दूध
  30. ऋतुफल
  31. (गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े इत्यादि)
  32. नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि)
  33. इलायची (छोटी)
  34. लौंग
  35. मौली
  36. इत्र की शीशी
  37. तुलसी दल
  38. सिंहासन (चौकी, आसन)
  39. पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते)
  40. औषधि (जटामॉसी, शिलाजीत आदि)
  41. लक्ष्मीजी का पाना (अथवा मूर्ति)
  42. गणेशजी की मूर्ति
  43. सरस्वती का चित्र
  44. चाँदी का सिक्का
  45. लक्ष्मीजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र
  46. गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र
  47. अम्बिका को अर्पित करने हेतु वस्त्र
  48. जल कलश (ताँबे या मिट्टी का)
  49. सफेद कपड़ा (आधा मीटर)
  50. लाल कपड़ा (आधा मीटर)
  51. पंच रत्न (सामर्थ्य अनुसार)
  52. दीपक
  53. बड़े दीपक के लिए तेल
  54. ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा)
  55. श्रीफल (नारियल)
  56. धान्य (चावल, गेहूँ)
  57. लेखनी (कलम)
  58. बही-खाता, स्याही की दवात
  59. तुला (तराजू)
  60. पुष्प (गुलाब एवं लाल कमल)
  61. एक नई थैली में हल्दी की गाँठ,
  62. खड़ा धनिया व दूर्वा आदि
  63. खील-बताशे
  64. अर्घ्य पात्र सहित अन्य सभी पात्र

Tuesday, October 4, 2016

स्वास्तिक के उपाय व टोटके

Swastik Ke Upay aur Totke, Swastika, Hindi, Jyotish, Tips,


1. माँ लक्ष्मी को करे प्रसन्न 
घर के बाहर रंगोली के साथ कुमकुम, सिंदूर या रंगोली से बनाया गया स्वस्तिक मंगलकारी होता है। इसे बनाने से देवी और देवता घर में प्रवेश करते है। 
2. गुड़ का उपाय
व्यापार नहीं बढ़ रहा है तो 7 गुरूवार तक उत्तर-पूर्वी कोने को गंगाजल से धोकर वहां हल्दी से स्वस्तिक बनाएं और उसकी पूजा करे। इसके बाद गुड़ का भोग लगाएं। 
3. देवता की मूर्ति रखे
स्वस्तिक बनाकर उसके ऊपर जिस भी देवता की मूर्ति रखी जाती है वह तुरन्त प्रसन्न होता है। यदि आप अपने इष्ट देव की पूजा करते है तो उस स्थान पर स्वस्तिक जरूर बनाएं।
4. दीपक जलाकर रखे 
देव स्थान पर स्वस्तिक बनाकर उसके ऊपर पंच धान्य या दीपक जलाकर रखने से कुछ ही समय में मनोकामनाएं पूरी होती है।
5. मनोकामना सिद्धि हेतु
मन्दिर में मनोकामना सिद्धि हेतु गोबर या कुमकुम से उल्टा स्वस्तिक बनाया जाता है। फिर जब मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वहीं जाकर सीधा स्वस्तिक बनाया जाता है
6. नींद न आए तो
रात को नींद न आए तो सोने से पहले घर के देव स्थान पर इंडैक्स फिंगर से स्वस्तिक बनाएंइससे बुरे सपने आने व अनिद्रा की समस्या दूर हो जाती है
7. पितरों की कृपा के लिए
 गोबर से स्वस्तिक बनाएं। इससे घर में शुभता, शान्ति और समृद्धि आती है। पितरों की कृपा भी प्राप्त होती है।
8. एक सुपारी पर कलवा 
देहलीज के दोनों ओर स्वस्तिक बनाकर पूजा करेस्वस्तिक के ऊपर चावल की एक ढेरी बनाएं और एक-एक सुपारी पर कलवा बांधकर उसको ढेरी के ऊपर रख दे। इस उपाय से धनलाभ होगा
9. हल्दी का स्वस्तिक
ईशान यानी उत्तर-पूर्व में उत्तर दिशा की दीवार पर हल्दी का स्वस्तिक बनाने से घर में सुख और शान्ति बनी रहती है।