कुलदेवी सदैव हमारी कुल कि रक्षा करती है,हम पर चाहे किसी भी प्रकार कि कोई भी बाधाये आने वाली हो तो सर्वप्रथम हमारी सबसे ज्यादा चिंता उन्हे ही होती है. कुलदेवी कि कृपा से कई जीवन के येसे कार्य है जिनमे पूर्ण सफलता मिलती है.
सामग्री :-
३ पानी वाले नारियल,लाल वस्त्र ,९ सुपारिया ,८ या १६ शृंगार कि वस्तुये ,खाने कि ९ पत्ते ,३ घी कि दीपक,कुंकुम ,हल्दी ,सिंदूर ,मौली ,तिन प्रकार कि मिठाई .।
साधना विधि :-
- यह साधना शुक्ल पक्ष कि १२,१३,१४ तिथि को करनी है. ।
- सर्वप्रथम नारियल कि कुछ जटाये निकाले और कुछ बाकि रखे ।
- एक नारियल को पूर्ण सिंदूर से रंग दे, दूसरे को हल्दी और, तीसरे नारियल को कुंकुम से ।
- ३ नारियल को मौली बांधे, और बाजोट पर स्थापित कीजिये ।
- हर नारियल के सामने ३ पत्ते रखे,पत्तों पर १-१ coin रखे और coin कि ऊपर सुपारिया स्थापित कीजिये. ।
- गुरुपूजन और गणपति पूजन संपन्न कीजिये. ।
- पूजा स्थापित कि है उन सबकी चावल,कुंकुम,हल्दी,सिंदूर,जल ,पुष्प,धुप और दीप से पूजा कीजिये.।
- जहा सिन्दूर वाला नारियल है वह सिर्फ सिंदूर ही चढ़े बाकि हल्दी कुंकुम नहीं इस प्रकार से पूजा करनी है,और चावल भी ३ रंगों मे ही रंगाने है,अब ३ दीपक स्थापित कर दीजिये.और कोई भी मिठाई किसी भी नारियल के पास चढादे . ।
- लाल मूंगे कि माला से ३ दिन तक ११ मालाये मंत्र जाप रोज करनी है.।
- इस पूजा में चाहें तो दुर्गा अथवा काली का मंत्र जप भी कर सकते हैं ,किन्तु साथ में तब शिव मंत्र का जप भी अवश्य करें|
- साधना समाप्ति के बाद प्रसाद परिवार मे ही बाटना है.शृंगार पूजा मे कुलदेवी कि उपस्थिति कि भावना करते हुये चढादे और माँ को स्वीकार करनेकी विनती कीजिये. ।
- ३ दिन बाद सारी सामग्री जल मे परिवार के कल्याण कि प्रार्थना करते हुये प्रवाहित कर दे.।
- सामान्यतय पारंपरिक रूप से कुलदेवता /कुलदेवी की पूजा में घर की कुँवारी कन्याओं को शामिल नहीं किया जाता और उन्हें दीपक देखने तक की मनाही होती है| तो घर की कुँवारी कन्याओं इस पूजा से दूर रखें अन्यथा देवी देवता नाराज हो जाते है |
साधना समाप्ति के बाद सहपरिवार आरती करे तो कुलेश्वरी कि कृपा और बढती है.
~~~~ कुलदेवी - कुलदेवता के पूजन की सरल विधि : ~~~~
विशेष दिन और त्यौहार पर शुद्ध लाल कपड़े के आसान पर कुलदेवी - कुलदेवता का
चित्र स्थापित करके घी या तेल का दीपक लगाकर गूगल की धुप देकर घी या तेल
से हवन करकर चूरमा बाटी का भोग लगाना चाहिए,अगरबत्ती, नारियल, सतबनी
मिठाई, मखाने दाने, इत्र ,हर-फूल आदि श्रद्धानुसार ।
* नवरात्री में पूजा अठवाई के साथ परम्परानुसार करनी चाहिए ।
~~~~ पितृ देवता के पूजन की सरल विधि : ~~~~
शुद्ध सफेद कपड़े के आसान पर पितृ देवता का चित्र स्थापित करके ,घी का दीपक
लगाकर गूगल धुप देकर, घी से हवन करकर चावल की सेनक या चावल की खीर -पूड़ी का
भोग लगाना चाहिए । अगरबत्ती , नारियल, सतबनी मिठाई, मखाने दाने,इत्र
,हर-फूल आदि श्रद्धानुसार । संक्षिप्त रूप में 'कुलदेवताभ्यो नमः' प्रभूत शब्दों को भी उच्चारण
किया जाता है| यह कुलदेवता के प्रति अभिवादन है जिससे उनका आशीर्वाद
प्राप्त हो पूर्व साधना में सफलता प्राप्त हो सके|* चावल की सेनक : चावल को उबाल पका लेवे फिर उसमे घी और शक्कर मिला ले ।
* अठवाई : दो पूड़ी के साथ एक मीठा पुआ और उस पर सूजी का हलवा , इस प्रकार दो जोड़े कुल मिलाकर ४ पूड़ी ; २ मीठा पुआ और थोड़ा सूजी का हलवा ।
श्री गुरु स्तवन
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः |
गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ||
ध्यानमूलं गुरुर्मूर्ति पूजामूलं गुरोः पदम् |
मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा ||
अखंडमंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् |
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ||
ब्रह्मानंदं परम सुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं |
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्षयम् ||
एकं नित्यंविमलं अचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् |
भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरुं तं नमामि ||
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव |
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव ||
Thanks......a.....lot.....sir...(TT)♥️♥️♥️♥️
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