Sunday, August 28, 2016

तुलसी का पूजन कर पायें दोषों से मुक्ति

  • जो भी व्यक्ति तुलसी की माला से किसी भी लक्ष्मी मन्त्र का यथा शक्ति 1 से 11 माला प्रतिदिन जप करे तो धन की प्राप्ति होने लगती है और उसके परिवार में सुख समृद्धि आती है।
  • जो भी व्यक्ति नित्य सुबह के समय स्नान आदि से निवृत होकर तुलसी के नीचे दीपक जलाकर पूजन करेगा। उस जातक के देवदोष समाप्त हो जायेंगे।
  • एक गमले में एक पौधा तुलसी का तथा एक पौधा काले धतूरे का लगायें। इन दोनों पौधों पर प्रतिदिन स्नान आदि से निवृत होकर शुद्ध जल में थोड़ा सा कच्चा दूध मिलाकर अर्पित करें। जो भी व्यक्ति यह प्रयोग नित्य 1 वर्ष तक करेगा उसे पितृदोष से मुक्ति मिल जायेगी। तथा उसको ब्रहमा, विष्णु, महेश, इन तीनों की संयुक्त पूजा फल मिलेगा चूंकि विष्णु प्रिया होने के कारण तुलसी विष्णु रूप है तथा काला धतूरा शिव रूप है एंव तुलसी की जड़ो में ब्रहमा का निवास स्थान माना जाता है।
  • एक छोटा सा चांदी का सर्प बनावाकर। इस सर्प की पूजा जिस दिन चर्तुदशी हो उस दिन स्नान कर तुलसी के पौधे के नीचे, इसे रखकर। इस पर दूध, अक्षत, रोली, आदि लगाकर इसकी पूजा करें। घी का दीपक भी जलायें। जिस समय पूजा करें उस समय साधक का मुख पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। भोग अर्पित कर दान भी करें। दीपक जब ठण्डा हो जाये तो उसके बाद चाॅदी के सर्प को पूजा करने वाला व्यक्ति ही उठाकर किसी नदीं में प्रवाहित कर दे। इस प्रकार नित्य 40 दिन तक पूजन करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।


तुलसी विवाह में तुलसी के पौधे और विष्णु जी की मूर्ति या शालिग्राम पाषाण का पूर्ण वैदिक रूप से विवाह कराया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह का शुभ दिन 1 नवंबर 2016 को है।

* शाम के समय सारा परिवार इसी तरह तैयार हो जैसे विवाह समारोह के लिए होते हैं। 
* तुलसी का पौधा एक पटिये पर आंगन, छत या पूजा घर में बिलकुल बीच में रखें। 
 * तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मंडप सजाएं। 
* तुलसी देवी पर समस्त सुहाग सामग्री के साथ लाल चुनरी चढ़ाएं।  
* गमले में सालिग्राम जी रखें। 
* सालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ते हैं। उन पर तिल चढ़ाई जा सकती है। 
* तुलसी और सालिग्राम जी पर दूध में भीगी हल्दी लगाएं।  
* गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप करें और उसकी पूजन करें।
* अगर हिंदू धर्म में विवाह के समय बोला जाने वाला मंगलाष्टक आता है तो वह अवश्य करें। 
* देव प्रबोधिनी एकादशी से कुछ वस्तुएं खाना आरंभ किया जाता है। अत: भाजी, मूली़ बेर और आंवला जैसी सामग्री बाजार में पूजन में चढ़ाने के लिए मिलती है वह लेकर आएं। 
* कपूर से आरती करें। (नमो नमो तुलजा महारानी, नमो नमो हरि की पटरानी) 
* प्रसाद चढ़ाएं। 
* 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें।
*  प्रसाद को मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें। 
* प्रसाद वितरण अवश्य करें।
* पूजा समाप्ति पर घर के सभी सदस्य चारों तरफ से पटिए को उठा कर भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें-
उठो देव सांवरा, भाजी, बोर आंवला, गन्ना की झोपड़ी में, शंकर जी की यात्रा।  

 इस लोक आह्वान का भोला सा भावार्थ है - हे सांवले सलोने देव, भाजी, बोर, आंवला चढ़ाने के साथ हम चाहते हैं कि आप जाग्रत हों, सृष्टि का कार्यभार संभालें और शंकर जी को पुन: अपनी यात्रा की अनुमति दें।

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