Tuesday, December 21, 2010
Tuesday, September 21, 2010
शाबर मन्त्र साधना
“शाबर मन्त्र साधना” के तथ्य
‘शाबर-मन्त्रों की पूर्ण सफलता के लिये ‘शाबरी-यन्त्र’ को सिद्ध करना चाहिए। इसके लिये अपने सामने लकड़ी का एक पाटा रखें। पाटे पर पीला रेशमी वस्त्र बिछाए। रेशमी वस्त्र पर ३ या ५ मुट्ठी अक्षत रखें। अक्षत के सामने कागज पर छपा हुआ या धातु पर उत्कीर्ण सर्व-सिद्धि-दायक ‘शाबर-यन्त्र’ रखें। यन्त्र पर चन्दन, रोली लगाए, यन्त्र के सम्मुख दीप जलाए और अगर-बत्ती-धूपादि से सुगन्धित करे। पुष्प और बिल्व-पत्रादि चढ़ाए। तब ‘गणपति, और ‘गुरु’ का स्मरण कर ‘यन्त्र के सम्मुख हाथ जोड़कर निम्न मन्त्र पढ़े-
“ॐ ह्राङ्क ह्रीङ्क क्लीङ्क ह्रौङ्क ब्ल्युङ्क ह्रौङ्क हुँः।”
उक्त मन्त्र पढ़ने के बाद निम्न मन्त्र जपें-
“ॐ नमो महा-शाबरी शक्ति, मम अनिष्ट निवारय-निवारय। मम कार्य-सिद्धि कुरु-कुरु स्वाहा।”
जप के बाद यन्त्र को प्रणाम कर स्वच्छ वस्त्र आदि में अपने पास रखें।
लाभ- इससे सभी कार्य शीघ्र सिद्ध होंगे। संकटों का निवारण होगा। दुःख-दारिद्रय की निवृत्ति होगी और धन की प्राप्ति होगी। यन्त्र जहाँ भी होगा या स्थापित होगा, वहाँ की सभी प्रकार की अला-बला, भूतादिक उपद्रव नष्ट हो जाते हैं।
- इस साधना को किसी भी जाति, वर्ण, आयु का पुरुष या स्त्री कर सकती है।
- इन मन्त्रों की साधना में गुरु की इतनी आवश्यकता नहीं रहती, क्योंकि इनके प्रवर्तक स्वयं सिद्ध साधक रहे हैं। इतने पर भी कोई निष्ठावान् साधक गुरु बन जाए, तो कोई आपत्ति नहीं क्योंकि किसी होनेवाले विक्षेप से वह बचा सकता है।
- साधना करते समय किसी भी रंग की धुली हुई धोती पहनी जा सकती है तथा किसी भी रंग का आसन उपयोग में लिया जा सकता है।
- साधना में जब तक मन्त्र-जप चले घी या मीठे तेल का दीपक प्रज्वलित रखना चाहिए। एक ही दीपक के सामने कई मन्त्रों की साधना की जा सकती है।
- अगरबत्ती या धूप किसी भी प्रकार की प्रयुक्त हो सकती है, किन्तु शाबर-मन्त्र-साधना में गूगल तथा लोबान की अगरबत्ती या धूप की विशेष महत्ता मानी गई है।
- जहाँ ‘दिशा’ का निर्देश न हो, वहाँ पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके साधना करनी चाहिए। मारण, उच्चाटन आदि दक्षिणाभिमुख होकर करें। मुसलमानी मन्त्रों की साधना पश्चिमाभिमुख होकर करें।
- जहाँ ‘माला’ का निर्देश न हो, वहाँ कोई भी ‘माला’ प्रयोग में ला सकते हैं। ‘रुद्राक्ष की माला सर्वोत्तम होती है। वैष्णव देवताओं के विषय में ‘तुलसी’ की माला तथा मुसलमानी मन्त्रों में ‘हकीक’ की माला प्रयोग करें। माला संस्कार आवश्यक नहीं है। एक ही माला पर कई मन्त्रों का जप किया जा सकता है।
- शाबर मन्त्रों की साधना में ग्रहण काल का अत्यधिक महत्त्व है। अपने सभी मन्त्रों से ग्रहण काल में कम से कम एक बार हवन अवश्य करना चाहिए। इससे वे जाग्रत रहते हैं।
- हवन के लिये मन्त्र के अन्त में ‘स्वाहा’ लगाने की आवश्यकता नहीं होती। जैसा भी मन्त्र हो, पढ़कर अन्त में आहुति दें।
- ‘शाबर’ मन्त्रों पर पूर्ण श्रद्धा होनी आवश्यक है। अधूरा विश्वास या मन्त्रों पर अश्रद्धा होने पर फल नहीं मिलता।
- साधना काल में एक समय भोजन करें और ब्रह्मचर्य-पालन करें। मन्त्र-जप करते समय स्वच्छता का ध्यान रखें।
- साधना दिन या रात्रि किसी भी समय कर सकते हैं।
- ‘मन्त्र’ का जप जैसा-का-तैसा करं। उच्चारण शुद्ध रुप से होना चाहिए।
- साधना-काल में हजामत बनवा सकते हैं। अपने सभी कार्य-व्यापार या नौकरी आदि सम्पन्न कर सकते हैं।
- मन्त्र-जप घर में एकान्त कमरे में या मन्दिर में या नदी के तट- कहीं भी किया जा सकता है।
- ‘शाबर-मन्त्र’ की साधना यदि अधूरी छूट जाए या साधना में कोई कमी रह जाए, तो किसी प्रकार की हानि नहीं होती।
- शाबर मन्त्र के छः प्रकार बतलाये गये हैं- (क) सवैया, (ख) अढ़ैया, (ग) झुमरी, (घ) यमराज, (ड़) गरुड़ा, तथा (च) गोपाल शाबर।
सर्व-सिद्धि-दायक शाबरी ‘यन्त्र’
सर्व-सिद्धि-दायक शाबरी ‘यन्त्र’ की प्रतिष्ठा‘शाबर-मन्त्रों की पूर्ण सफलता के लिये ‘शाबरी-यन्त्र’ को सिद्ध करना चाहिए। इसके लिये अपने सामने लकड़ी का एक पाटा रखें। पाटे पर पीला रेशमी वस्त्र बिछाए। रेशमी वस्त्र पर ३ या ५ मुट्ठी अक्षत रखें। अक्षत के सामने कागज पर छपा हुआ या धातु पर उत्कीर्ण सर्व-सिद्धि-दायक ‘शाबर-यन्त्र’ रखें। यन्त्र पर चन्दन, रोली लगाए, यन्त्र के सम्मुख दीप जलाए और अगर-बत्ती-धूपादि से सुगन्धित करे। पुष्प और बिल्व-पत्रादि चढ़ाए। तब ‘गणपति, और ‘गुरु’ का स्मरण कर ‘यन्त्र के सम्मुख हाथ जोड़कर निम्न मन्त्र पढ़े-
“ॐ ह्राङ्क ह्रीङ्क क्लीङ्क ह्रौङ्क ब्ल्युङ्क ह्रौङ्क हुँः।”
उक्त मन्त्र पढ़ने के बाद निम्न मन्त्र जपें-
“ॐ नमो महा-शाबरी शक्ति, मम अनिष्ट निवारय-निवारय। मम कार्य-सिद्धि कुरु-कुरु स्वाहा।”
जप के बाद यन्त्र को प्रणाम कर स्वच्छ वस्त्र आदि में अपने पास रखें।
लाभ- इससे सभी कार्य शीघ्र सिद्ध होंगे। संकटों का निवारण होगा। दुःख-दारिद्रय की निवृत्ति होगी और धन की प्राप्ति होगी। यन्त्र जहाँ भी होगा या स्थापित होगा, वहाँ की सभी प्रकार की अला-बला, भूतादिक उपद्रव नष्ट हो जाते हैं।
Monday, September 6, 2010
श्री रामचरितमानस के मंत्र
* विद्या प्राप्ति के लिए *
गुरू गृह गए पढ़न रघुराई।
अल्प काल विद्या सब आई।।
* यात्रा की सफलता के लिए *
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा।
ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।
* झगड़े में विजय प्राप्ति के लिए *
कृपादृष्टि करि वृष्टि प्रभु अभय किए सुरवृन्द।
भालु कोल सब हरषे जय सुखधाम मुकुंद ।।
* ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए *
लगे सवारन सकल सुर वाहन विविध विमान।
होई सगुन मंगल सुखद करहि अप्सरा गान।।
* दरिद्रता मिटाने के लिए *
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के।
कामद धन दारिद दवारि के।।
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।
सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।
* संकट नाश के लिए *
दिन दयाल बिरिदु सम्भारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी।।
* जीविका प्राप्ति के लिए *
विस्व भरण पोषण कर जोई।
ताकर नाम भरत जस होई।।
* सभी प्रकार की विपत्ति नाश के लिए *
राजीव नयन धरे धनु सायक।
भगत विपत्ति भंजक सुखदायक।।
* विघ्न निवारण के लिए *
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही।
राम सुकृपा बिलोकहि जेही।।
* आकर्षण के लिए *
जेहि के जेहि पर सत्य सनेहू।
सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।।
* परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए *
जेहि पर कृपा करहि जनु जानी।
कवि उर अजिर नचावहि बानी।।
मोरि सुधारिहि सो सब भाँति।
जासु कृपा नहि कृपा अघाति।।
* मुकदमें में विजय के लिए *
पवन तनय बल पवन समाना।
बुधि विवेक विज्ञान निधाना।।
* शत्रु नाश के लिए *
बयरू न कर काहू सन कोई।
रामप्रताप विषमता खोई।।
* अपयश नाश के लिए *
रामकृपा अवरैब सुधारी।
विबुध धारि भई गुनद गोहारी।।
* मनोरथ प्राप्ति के लिए *
मोर मनोरथु जानहु नीके।
बसहु सदा उर पुर सबही के।।
* विवाह के लिए *
तब जन पाई बसिष्ठ आयसु ब्याह।
साज सँवारि कै।
मांडवी, श्रुतकी, रति, उर्मिला कुँअरि
लई हंकारि कै।
* इच्छित वर प्राप्ति के लिए *
जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषि न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।
गुरू गृह गए पढ़न रघुराई।
अल्प काल विद्या सब आई।।
* यात्रा की सफलता के लिए *
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा।
ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।
* झगड़े में विजय प्राप्ति के लिए *
कृपादृष्टि करि वृष्टि प्रभु अभय किए सुरवृन्द।
भालु कोल सब हरषे जय सुखधाम मुकुंद ।।
* ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए *
लगे सवारन सकल सुर वाहन विविध विमान।
होई सगुन मंगल सुखद करहि अप्सरा गान।।
* दरिद्रता मिटाने के लिए *
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के।
कामद धन दारिद दवारि के।।
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।
सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।
* संकट नाश के लिए *
दिन दयाल बिरिदु सम्भारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी।।
* जीविका प्राप्ति के लिए *
विस्व भरण पोषण कर जोई।
ताकर नाम भरत जस होई।।
* सभी प्रकार की विपत्ति नाश के लिए *
राजीव नयन धरे धनु सायक।
भगत विपत्ति भंजक सुखदायक।।
* विघ्न निवारण के लिए *
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही।
राम सुकृपा बिलोकहि जेही।।
* आकर्षण के लिए *
जेहि के जेहि पर सत्य सनेहू।
सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।।
* परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए *
जेहि पर कृपा करहि जनु जानी।
कवि उर अजिर नचावहि बानी।।
मोरि सुधारिहि सो सब भाँति।
जासु कृपा नहि कृपा अघाति।।
* मुकदमें में विजय के लिए *
पवन तनय बल पवन समाना।
बुधि विवेक विज्ञान निधाना।।
* शत्रु नाश के लिए *
बयरू न कर काहू सन कोई।
रामप्रताप विषमता खोई।।
* अपयश नाश के लिए *
रामकृपा अवरैब सुधारी।
विबुध धारि भई गुनद गोहारी।।
* मनोरथ प्राप्ति के लिए *
मोर मनोरथु जानहु नीके।
बसहु सदा उर पुर सबही के।।
* विवाह के लिए *
तब जन पाई बसिष्ठ आयसु ब्याह।
साज सँवारि कै।
मांडवी, श्रुतकी, रति, उर्मिला कुँअरि
लई हंकारि कै।
* इच्छित वर प्राप्ति के लिए *
जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषि न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।
* सर्वपीड़ा नाश के लिए *
जासु नाम भव भेषज हरन घोर त्रय सूल।
सो कृपालु मोहि तो पर सदा रहउ अनुकूल।।
* श्रेष्ठ पति प्राप्ति के लिए *
गावहि छवि अवलोकि सहेली।
सिय जयमाल राम उर मेली।।
* पुत्र प्राप्ति के लिए *
प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।
* सर्वसुख प्राप्ति के लिए *
सुनहि विमुक्त बिरत अरू विषई।
लहहि भगति गति संपति सई।।
* ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति के लिए *
साधक नाम जपहि लय लाएँ।
होहि सिद्ध अनिमादिक पाएँ।।
Sunday, September 5, 2010
बजरंग बाण
हनुमान जी के अनुष्ठान मे अथवा पूजा आदि में दीपदान का विशेष महत्त्व होता है।
- पाँच अनाजों (गेहूँ, चावल, मूँग, उड़द और काले तिल) को अनुष्ठान से पूर्व एक-एक मुट्ठी प्रमाण में लेकर शुद्ध गंगाजल में भिगो दें। अनुष्ठान वाले दिन इन अनाजों को पीसकर उनका दीया बनाएँ।
- बत्ती के लिए अपनी लम्बाई के बराबर कलावे का एक तार लें अथवा एक कच्चे सूत को लम्बाई के बराबर काटकर लाल रंग में रंग लें। इस धागे को पाँच बार मोड़ लें। इस प्रकार के धागे की बत्ती को सुगन्धित तिल के तेल में डालकर प्रयोग करें। समस्त पूजा काल में यह दिया जलता रहना चाहिए। हनुमानजी के लिये गूगुल की धूनी की भी व्यवस्था रखें।
श्री हनुमान मंत्र (जंजीरा)
ॐ हनुमान पहलवान
पहलवान, बरस बारह का जबान,
पहलवान, बरस बारह का जबान,
हाथ में लड्डू मुख में पान, खेल खेल गढ़ लंका के चौगान,
अंजनी का पूत, राम का दूत, छिन में कीलौ
नौ खंड का भूत, जाग जाग हड़मान
हुँकाला, ताती लोहा लंकाला, शीश जटा
डग डेरू उमर गाजे, वज्र की कोठड़ी ब्रज का ताला
आगे अर्जुन पीछे भीम, चोर नार चंपे
ने सींण, अजरा झरे भरया भरे, ई घट पिंड
की रक्षा राजा रामचंद्र जी लक्ष्मण कुँवर हड़मान करें।
- एक मंत्र ऐसा भी है जो डर और भय को मात्र एक माला के जाप मॆं ही छूमंतर कर देता है.
- “हनुमान जंजीरा” नामक यह मंत्र आसान और बेहद कारगर है.
- श्री हनुमान मंत्र (जंजीरा) की प्रतिदिन एक माला जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है।
- हनुमान मंदिर में जाकर साधक अगरबत्ती जलाएँ।
- इक्कीसवें दिन उसी मंदिर में एक नारियल व लाल कपड़े की एक ध्वजा चढ़ाएँ।
- यह मंत्र भूत-प्रेत, डाकिनी-शाकिनी, नजर, टपकार व शरीर की रक्षा के लिए अत्यंत सफल है।
Wednesday, February 17, 2010
Saturday, February 6, 2010
Wednesday, February 3, 2010
DOWNLOAD SOFTWARE
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GAMES - http://www.skidrowgames.net/
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