Sunday, September 5, 2010

बजरंग बाण


हनुमान जी के अनुष्ठान मे अथवा पूजा आदि में दीपदान का विशेष महत्त्व होता है।
  • पाँच अनाजों (गेहूँ, चावल, मूँग, उड़द और काले तिल) को अनुष्ठान से पूर्व एक-एक मुट्ठी प्रमाण में लेकर शुद्ध गंगाजल में भिगो दें। अनुष्ठान वाले दिन इन अनाजों को पीसकर उनका दीया बनाएँ।
  • बत्ती के लिए अपनी लम्बाई के बराबर कलावे का एक तार लें अथवा एक कच्चे सूत को लम्बाई के बराबर काटकर लाल रंग में रंग लें। इस धागे को पाँच बार मोड़ लें। इस प्रकार के धागे की बत्ती को सुगन्धित तिल के तेल में डालकर प्रयोग करें। समस्त पूजा काल में यह दिया जलता रहना चाहिए। हनुमानजी के लिये गूगुल की धूनी की भी व्यवस्था रखें।

श्री हनुमान मंत्र (जंजीरा)
ॐ हनुमान पहलवान
पहलवान, बरस बारह का जबान,
हाथ में लड्‍डू मुख में पान, खेल खेल गढ़ लंका के चौगान,
अंजनी‍ का पूत, राम का दूत, छिन में कीलौ

नौ खंड का भू‍त, जाग जाग हड़मान
हुँकाला, ताती लोहा लंकाला, शीश जटा
डग डेरू उमर गाजे, वज्र की कोठड़ी ब्रज का ताला
आगे अर्जुन पीछे भीम, चोर नार चंपे
ने सींण, अजरा झरे भरया भरे, ई घट पिंड
की रक्षा राजा रामचंद्र जी लक्ष्मण कुँवर हड़मान करें। 

  • एक मंत्र ऐसा भी है जो डर और भय को मात्र एक माला के जाप मॆं ही छूमंतर कर देता है.
  • “हनुमान जंजीरा” नामक यह मंत्र आसान और बेहद कारगर है.
  • श्री हनुमान मंत्र (जंजीरा) की प्रतिदिन एक माला जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है।
  • हनुमान मंदिर में जाकर साधक अगरबत्ती जलाएँ। 
  • इक्कीसवें दिन उसी मंदिर में एक नारियल व लाल कपड़े की एक ध्वजा चढ़ाएँ। 
  • यह मंत्र भूत-प्रेत, डाकिनी-शाकिनी, नजर, टपकार व शरीर की रक्षा के लिए अत्यंत सफल है।