* विद्या प्राप्ति के लिए *
गुरू गृह गए पढ़न रघुराई।
अल्प काल विद्या सब आई।।
* यात्रा की सफलता के लिए *
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा।
ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।
* झगड़े में विजय प्राप्ति के लिए *
कृपादृष्टि करि वृष्टि प्रभु अभय किए सुरवृन्द।
भालु कोल सब हरषे जय सुखधाम मुकुंद ।।
* ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए *
लगे सवारन सकल सुर वाहन विविध विमान।
होई सगुन मंगल सुखद करहि अप्सरा गान।।
* दरिद्रता मिटाने के लिए *
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के।
कामद धन दारिद दवारि के।।
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।
सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।
* संकट नाश के लिए *
दिन दयाल बिरिदु सम्भारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी।।
* जीविका प्राप्ति के लिए *
विस्व भरण पोषण कर जोई।
ताकर नाम भरत जस होई।।
* सभी प्रकार की विपत्ति नाश के लिए *
राजीव नयन धरे धनु सायक।
भगत विपत्ति भंजक सुखदायक।।
* विघ्न निवारण के लिए *
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही।
राम सुकृपा बिलोकहि जेही।।
* आकर्षण के लिए *
जेहि के जेहि पर सत्य सनेहू।
सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।।
* परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए *
जेहि पर कृपा करहि जनु जानी।
कवि उर अजिर नचावहि बानी।।
मोरि सुधारिहि सो सब भाँति।
जासु कृपा नहि कृपा अघाति।।
* मुकदमें में विजय के लिए *
पवन तनय बल पवन समाना।
बुधि विवेक विज्ञान निधाना।।
* शत्रु नाश के लिए *
बयरू न कर काहू सन कोई।
रामप्रताप विषमता खोई।।
* अपयश नाश के लिए *
रामकृपा अवरैब सुधारी।
विबुध धारि भई गुनद गोहारी।।
* मनोरथ प्राप्ति के लिए *
मोर मनोरथु जानहु नीके।
बसहु सदा उर पुर सबही के।।
* विवाह के लिए *
तब जन पाई बसिष्ठ आयसु ब्याह।
साज सँवारि कै।
मांडवी, श्रुतकी, रति, उर्मिला कुँअरि
लई हंकारि कै।
* इच्छित वर प्राप्ति के लिए *
जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषि न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।
गुरू गृह गए पढ़न रघुराई।
अल्प काल विद्या सब आई।।
* यात्रा की सफलता के लिए *
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा।
ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।
* झगड़े में विजय प्राप्ति के लिए *
कृपादृष्टि करि वृष्टि प्रभु अभय किए सुरवृन्द।
भालु कोल सब हरषे जय सुखधाम मुकुंद ।।
* ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए *
लगे सवारन सकल सुर वाहन विविध विमान।
होई सगुन मंगल सुखद करहि अप्सरा गान।।
* दरिद्रता मिटाने के लिए *
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के।
कामद धन दारिद दवारि के।।
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।
सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।
* संकट नाश के लिए *
दिन दयाल बिरिदु सम्भारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी।।
* जीविका प्राप्ति के लिए *
विस्व भरण पोषण कर जोई।
ताकर नाम भरत जस होई।।
* सभी प्रकार की विपत्ति नाश के लिए *
राजीव नयन धरे धनु सायक।
भगत विपत्ति भंजक सुखदायक।।
* विघ्न निवारण के लिए *
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही।
राम सुकृपा बिलोकहि जेही।।
* आकर्षण के लिए *
जेहि के जेहि पर सत्य सनेहू।
सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।।
* परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए *
जेहि पर कृपा करहि जनु जानी।
कवि उर अजिर नचावहि बानी।।
मोरि सुधारिहि सो सब भाँति।
जासु कृपा नहि कृपा अघाति।।
* मुकदमें में विजय के लिए *
पवन तनय बल पवन समाना।
बुधि विवेक विज्ञान निधाना।।
* शत्रु नाश के लिए *
बयरू न कर काहू सन कोई।
रामप्रताप विषमता खोई।।
* अपयश नाश के लिए *
रामकृपा अवरैब सुधारी।
विबुध धारि भई गुनद गोहारी।।
* मनोरथ प्राप्ति के लिए *
मोर मनोरथु जानहु नीके।
बसहु सदा उर पुर सबही के।।
* विवाह के लिए *
तब जन पाई बसिष्ठ आयसु ब्याह।
साज सँवारि कै।
मांडवी, श्रुतकी, रति, उर्मिला कुँअरि
लई हंकारि कै।
* इच्छित वर प्राप्ति के लिए *
जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषि न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।
* सर्वपीड़ा नाश के लिए *
जासु नाम भव भेषज हरन घोर त्रय सूल।
सो कृपालु मोहि तो पर सदा रहउ अनुकूल।।
* श्रेष्ठ पति प्राप्ति के लिए *
गावहि छवि अवलोकि सहेली।
सिय जयमाल राम उर मेली।।
* पुत्र प्राप्ति के लिए *
प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।
* सर्वसुख प्राप्ति के लिए *
सुनहि विमुक्त बिरत अरू विषई।
लहहि भगति गति संपति सई।।
* ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति के लिए *
साधक नाम जपहि लय लाएँ।
होहि सिद्ध अनिमादिक पाएँ।।
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